दिलचस्प यह है कि आमतौर पर जिन आदिवासियों को अब तक उपेक्षा की दृष्टि से देखा जाता रहा है, देश की कई जातियां न सिर्फ उस आदिवासी समुदाय में शामिल होना चाह रही हैं, बल्कि लोग इसके लिए सरकार से मांग और धरना-प्रदर्शन तक कर रहे हैं. इस समय देश भर की लगभग 233 से अधिक जातियों के लोग खुद को जनजाति बनाने की मांग कर रहे हैं.
विभिन्न रिपोर्टों के मुताबिक, झारखंड, बंगाल और ओडिशा में कुड़मी, असम में चुटिया, मटक, मोरन, कोच-राजबंशी, ताई अहोम के अलावा टी ट्राइब खुद को एसटी सूची में शामिल कराना चाहते हैं.
लोकसभा के मॉनसून सत्र में 24 जुलाई, 2023 को कांग्रेस सांसद प्रद्युत बोरदोलोई ने सरकार से पूछा कि असम के आदिवासियों की मांग पर सरकार कब अमल कर रही है. इस पर आदिवासी मामलों के केंद्रीय राज्यमंत्री विश्वेश्वर टुडू ने कहा कि प्रस्ताव अभी विचाराधीन है. यही नहीं, सिक्किम और पश्चिम बंगाल में गुरुंग, मांगर, राय, सुनवार, मुखिया, माझी, जोगी, थामी, यखा, बहुन, छेत्री और नेवार; महाराष्ट्र में धनगर, तमिलनाडु में नर्रिकुरोवर और बदागा, तेलंगाना में बोया और वाल्मीकि के अलावा जम्मू और कश्मीर में पद्दारी, कोली और गड्डा ब्राह्मण सहित कई अन्य समुदाय इसकी मांग कर रहे हैं.
ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक ने 16 सितंबर, 2022 को केंद्रीय जनजाति मंत्री अर्जुन मुंडा को एक पत्र लिख कुल 169 जातियों को एसटी सूची में शामिल करने की बात कही थी. हालांकि बीते मार्च में एनसीएसटी (नेशनल कमिशन फॉर शेड्यूल्ड ट्राइब्स) के तत्कालीन अध्यक्ष हर्ष चौहान ने कहा था कि ओडिशा सरकार को सावधानी से आदिवासियों की पहचान करनी चाहिए, क्योंकि देशभर में इसका चलन बढ़ रहा है.
इन सब के बीच संसद के मॉनसून सत्र में 25 जुलाई, 2023 को छत्तीसगढ़ की 12 जातियों को एसटी कैटेगरी में शामिल करने प्रस्ताव को दोनों सदनों से पास कर दिया गया. इससे पहले हिमाचल के हाटी समुदाय को एसटी सूची में शामिल करने के लिए लोकसभा (16 दिसंबर, 2022) और राज्यसभा (26 जुलाई, 2023) में बिल पास हो चुका है. जम्मू-कश्मीर के पहाड़ी समुदाय को एसटी में शामिल करने का बिल भी इसी सत्र में लोकसभा में पेश किया गया है.
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin September 06, 2023 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Giriş Yap
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin September 06, 2023 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Giriş Yap
महिलाओं को मुहैया कराएं काम के लिए उचित माहौल
यह पहल अगर इस साल शुरु कर दें तो हम देख पाएंगे कि एक महिला किस तरह से देश की आर्थिक किस्मत बदल सकती है
नकद हस्तांतरण पर नई बहस
नकद हस्तांतरण मुफ्त की रेवड़ी नहीं है, बल्कि इसकी लोकप्रियता हमारे लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण निहितार्थ रखती है
भारत की एआइ शक्ति का दोहन
अपना देश बेशुमार एआइ एजेंटों यानी इसे इस्तेमालकरने वाले सॉफ्टवेयर, एप्लिकेशन, इससे जुड़ी साक्षरताऔर सुरक्षा के माध्यम से एआइ की परिवर्तनकारीक्षमताओं का फायदा उठाने को पूरी तरह से तैयार
बातचीत और रोकथाम का तरीका
भारत को सहयोग करना चाहिए, लेकिन चीन को अपने हितों को लूटने नहीं देना चाहिए
बीजिंग से निकली तबाही की सड़क
बीआरआइ का लक्ष्य चीन के माध्यम से दुनिया को बदलना था. लेकिन इसके बजाए यह एक आपदा है जिससे एक के बाद एक देश अपने को इससे बाहर निकल रहे हैं. 2025 में यह रुझान जारी बढ़ने वाला है
अबकी बार विदेशी लोगों पर प्रहार
अगर ट्रंप आव्रजन नियमों को सख्त करते हैं तो भारतीयों के लिए अमेरिकी सपने को साकार करना मुश्किल हो सकता है
अपनी व्यापार रणनीति पर पुनर्विचार करे भारत
भारत को ट्रंप 2.0 युग में कामयाब होने के लिए टैरिफ कम करने होंगे, ऊंचे मानकों वाले एफटीए को अपनाना होगा और दुनिया के बदलते हालात के साथ व्यापार नीतियों का तालमेल बिठाना होगा
मोदी के सामने दोहरी चुनौतियां
प्रधानमंत्री को देश में धीमी पड़ती अर्थव्यवस्था में तेजी लाने और समान विकास पक्का करने के लिए जोरदार सुधार करने होंगे. दूसरी ओर, विदेश में भारत के खिलाफ टैरिफ और आव्रजन संबंधी शिकायतों पर ट्रंप के साथ समझौता करने का तरीका निकालना होगा
कैसे रखें बरकरार अर्थव्यवस्था की तेज रफ्तार
साल 2025 में भारत की वृद्धि तेज करने के लिए सुधारों, लचीलेपन और वैश्विक अनिश्चितताओं के लिए तैयारी की जरूरत
व्यवस्थाओं के बीच उलझी दुनिया
विश्व अब आर्थिक मोर्चे पर बहुध्रुवीय, सैन्य लिहाज से एकध्रुवीय और राजनैतिक तौर पर विखंडित स्थिति में है. देशों में अवसरवादिता की प्रवृत्ति लगातार बढ़ती नजर आ रही