!['हमने प्लेटफॉर्मों को डीपफेक के लिए चेतावनी दी है' 'हमने प्लेटफॉर्मों को डीपफेक के लिए चेतावनी दी है'](https://cdn.magzter.com/India Today Hindi/1701081500/articles/xwYdp1Fo31701084919022/1701085231286.jpg)
• प्र. हाल में पत्रकारों से बातचीत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डीपफेक के खतरे के प्रति आगाह किया. खतरा कितना बड़ा है और हमें इसकी चिंता क्यों होनी चाहिए?
हम सरकार में कुछ समय से एक परेशान करने वाली घटना में इजाफे से वाकिफ हैं, जो मोटे तौर पर उथल-पुथल और अस्थिरत पैदा करने के मकसद से गलत सूचना, दुष्प्रचार और फर्जी सूचना को हथियार बनाने की कोशिश है. हमने सरकार का यह मिशन बना लिया है कि हमारी सभी नीतियां सुरक्षित, भरोसेमंद और जवाबदेह इंटरनेट के पक्ष में हों. साइबर अपराधों ने एक मायने में पहले की उस धारणा को उलट दिया है कि इंटरनेट और प्रौद्योगिकी भले के लिए है. जब आप फास्ट फॉरवर्ड करते हैं और सभी समस्याओं को आंकते हैं और फिर उन्हें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) के आविष्कार से जोड़ते हैं, तो आने वाले तूफान की आशंका उभर आती है जो भारी तबाही ला सकता है. एआइ और फर्जी खबरों के घालमेल से डीपफेक की यह घटना ऐसी है जिसके लेकर हम सभी को चिंतित होना चाहिए क्योंकि यह लोगों, समाजों, समुदायों और देशों के लिए भारी विघटनकारी है, हमें माननीय प्रधानमंत्री का शुक्रगुजार होना चाहिए कि उन्होंने इस मुद्दे को उठाया और राष्ट्रीय जागरूकता पैदा की. हमने पिछले दो वर्षों में फर्जी खबरों के खिलाफ नियम-कानून बनाने की कोशिश की है.
• 2024 का आम चुनाव सामने है. डीपफेक से राजनैतिक दलों को क्या खतरा हो सकता है?
देखिए, फर्जी खबरें स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए बड़ी चुनौती हैं. डीपफेक लोगों को गुमराह करने का बहुत ही खतरनाक तरीका है, जो ज्यादा से ज्यादा वीडियो को तवज्जो देने लगे हैं. राजनैतिक ध्रुवीकरण और झूठ की राजनीति में लिप्त बहुत से लोगों के मद्देनजर कल्पना करें कि वह क्या गुल खिला सकता है. यह दरअसल ऐसी माचिस की डिब्बी है, जो भावनाएं भड़काने की चिंगारी है और ऐसी आग भड़का सकती है जिसकी कल्पना भी लोग नहीं कर सकते. इसलिए, फर्जी खबरों के औजारों का जो इस्तेमाल पहले एक समस्या हुआ करती थी, अब डीपफेक के साथ उसका अलग आयाम और पैमाना खुल गया है.
• सरकार फेसबुक और यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से क्या करने को कह रही है?
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin December 06, 2023 sayısından alınmıştır.
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![तन्हाई में तारों से बातें तन्हाई में तारों से बातें](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/182/1997604/KkYi-s4Uf1739799502351/1739799613388.jpg)
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पूर्वा नरेश ने दोस्तोएव्स्की की कहानी व्हाइट नाइट्स के अपने म्यूजिकल रूपांतरण चांदनी रातें में नौटंकी शैली का उपयोग किया
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अब पंजाब की पहरेदारी
अरविंद केजरीवाल के लिए सवाल यह नहीं है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) का भविष्य है या नहीं. उनके लिए प्रश्न यह है कि पार्टी राष्ट्रीय राजनीति में एक आइडिया के रूप में प्रासंगिक रहेगी या नहीं. दिल्ली में पार्टी की हार के तीन दिन बाद 11 फरवरी को मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में पंजाब के 95 में से 86 आप विधायकों के साथ उनकी आधे घंटे बैठक हुई. माना जाता है कि इसमें केजरीवाल ने बताया कि पार्टी के भविष्य को लेकर उनके मन में क्या है.
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आम तौर पर मोदी सरकार की विदेश नीति लोगों को पसंद आती है लेकिन कई लोगों का मानना है कि पड़ोसी देशों के साथ रिश्ते खराब हुए हैं. बांग्लादेश में हिंदुओं की दुर्दशा पर भारत की प्रतिक्रिया को लेकर भी लोग फिक्रमंद
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 8 फरवरी को जब भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे तो उनका उत्साह हमेशा के मुकाबले एक अलग ही मुकाम पर था.
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विकास की कशमकश
एक ओर जहां कमजोर मांग, कम निवेश और दुनियाभर में अनिश्चितता की वजह से भारत की वृद्धि पर असर पड़ रहा है, वहीं आसमान छूती महंगाई और बढ़ती बेरोजगारी कर में मिली राहत को ढक रही है. इन सबकी वजह से आम आदमी का संघर्ष और आर्थिक परेशानियां बढ़ रहीं
![उथल-पुथल का आलम उथल-पुथल का आलम](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/182/1997604/R77_jKKQS1739798498314/1739798692561.jpg)
उथल-पुथल का आलम
सामाजिक-राजनैतिक सुधारों के लिए सरकार को मजबूत समर्थन मिल रहा मगर लोकतंत्र, धार्मिक ध्रुवीकरण और महिला सुरक्षा को लेकर चल रही खदबदाहट से इससे जुड़ी चिंताएं उजागर