डॉ. पुरुषोत्तम लाल, 69 वर्ष चेयरमैन, मेट्रो ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स
बचपन बहुत मुश्किल में बिताने के बाद आसमान छूने में जिन लोगों को बहुत कम वक्त लगा है उनमें मेट्रो हॉस्पिटल समूह के संस्थापक और विख्यात हृदय रोग विशेषज्ञ पद्मविभूषण डॉ. पुरुषोत्तम लाल भी हैं. डॉ. लाल खुद बताते हैं, '1972 में हमारे घर में बिजली नहीं थी. कुछ दिन बाद मैं जब मेडिकल कॉलेज गया तो उस दौरान हमारे गांव पत्तो (वर्तमान में पंजाब के मोगा जिले में) में बिजली आई. हमारे घर में बिजली फिटिंग का काम ठीक से नहीं हुआ था और मेरे पिता को करेंट लग गया. घर में सिर्फ मां थीं. वे कुछ समझ नहीं सकीं. उन्होंने पिता को अचेत पाया. वहां इलाज की कोई सुविधा नहीं थी और उनका निधन हो गया. तब मैं मेडिकल कॉलेज में था."
पद्मभूषण और पद्मविभूषण से सम्मानित डॉ. लाल के पिता साइकिल रिपेयरिंग का काम करते थे. डॉ. लाल पत्तो गांव में पैदा हुए और वहीं 5वीं कक्षा तक पढ़े और माता-पिता के साथ रहे. इसके बाद वे 12 मील दूर नाना के गांव गए और वहां नानाजी की सेवा करने लगे और वहीं रहने लगे. वहां उन्होंने भैंस दुहने से लेकर घास काटने तक का काम किया. पिता साइकिल रिपेयर करते थे. वे बताते हैं, "मुझे और मेरे सभी सातों भाइयों ने भी साइकिल रिपेयरिंग की थी. " उनके एक भाई का निधन हो गया है. डॉ. लाल अपने भाइयों में तीसरे नंबर के थे. उनके पिता का निधन चालीसेक साल में हो गया. वे बचपन में चिमनी की रोशनी में पढ़ते थे. डॉ. लाल और उनके सभी भाई पढ़ने में बहुत मेधावी थे, हमेशा फर्स्ट आए. स्कूल में उनके सबसे फेवरिट टीचर ही थे. वे कहते हैं, "टीचर हमें पढ़ने के लिए उत्साहित करते थे. हम जल्दी से टीचर बनना चाहते थे."
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin December 13, 2023 sayısından alınmıştır.
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