मौका बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती के 68वें जन्मदिन का था. हर बार की तरह 'बहन जी' मीडिया से मुखातिब थीं. हल्का गुलाबी सूट पहने मायावती अपने चिरपरिचित अंदाज में पार्टी दफ्तर में दाखिल हुईं. जैसे ही बसपा सुप्रीमो ने साथ में लाए कागजों को पढ़ना शुरू किया, यूपी में बसपा के इंडिया गठबंधन में शामिल होने की संभावना धूमिल होती चली गई. मायावती ने 1993 में सपा और 1996 में कांग्रेस से किए गए गठबंधनों का जिक्र करते हुए कहा कि इससे बसपा को फायदा कम, नुक्सान ज्यादा हुआ है. बसपा अध्यक्ष का तर्क था कि अकेले चुनाव लड़ने पर 2007 में बसपा ने बहुमत की सरकार बनाई थी. उन्होंने कहा, "बसपा लोकसभा चुनाव गरीब, अति पिछड़े और उपेक्षित लोगों के बूते अकेले ही लड़ेगी और केंद्र की सत्ता में प्रभावी भागीदारी सुनिश्चित करेगी."
जन्मदिन पर कार्यकर्ताओं को करीब आधा घंटे के संदेश में मायावती ने यह स्पष्ट कर दिया कि उनकी पार्टी फिलहाल इंडिया गठबंधन में शामिल नहीं होने जा रही. बसपा के विपक्षी गठबंधन में शामिल होने की अटकलें उस वक्त तेज हो गई थीं जब यूपी कांग्रेस के नवनियुक्त प्रभारी अविनाश पांडेय ने 7 जनवरी को अपने लखनऊ प्रवास के दौरान बसपा को साथ लेने की पुरजोर वकालत की थी. मायावती ने भाजपा के साथ कांग्रेस को भी जातिवादी, पूंजीवादी, सामंतवादी और सांप्रदायिक बताकर देश की सबसे पुरानी पार्टी के साथ अपने रुख को स्पष्ट कर दिया. उनका संबोधन समाप्त होते ही यह तय हो गया कि लोकसभा चुनाव के दौरान यूपी में त्रिकोणीय राजनैतिक संघर्ष का मैदान सजने जा रहा है.
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin February 07, 2024 sayısından alınmıştır.
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