बाईस जनवरी की सुबह तकरीबन सात बजे थे. कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा (बीजेएनवाइ) असम के नौगांव जिले में वैष्णव मठ बरदोवा थान की तरफ बढ़ रही थी, जो 15वीं सदी के संत और राज्य के सबसे श्रद्धेय समाज सुधारक श्रीमंत शंकरदेव का जन्मस्थान है. ठीक उसी दिन इस पुण्यस्थल की यात्रा करने का फैसला जब प्रधानमंत्री अयोध्या में राम लला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की अगुआई कर रहे थे, बहुत सोच-समझकर किया गया था. कांग्रेस ने भव्य आयोजन का न्यौता ठुकरा दिया था, लेकिन इस बात के लिए तैयार नहीं थी कि नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली भाजपा ग्रैंड ओल्ड पार्टी को 'हिंदू विरोधी' के रूप में प्रचारित करे.
बरदोवा थान की यात्रा का मकसद मीडिया के लिए ऐसा अवसर पैदा करना था जिससे भारत भर के लोग यह जान जाएं कि कांग्रेस राम को लेकर भाजपा के तूफानी अभियान का हिस्सा भले न हो लेकिन वह भारत के हिंदू बहुसंख्यकों की धार्मिक पहचान के दावों का हिस्सा जरूर है. यही वजह है कि राहुल का कारवां सुबह अयोध्या में मोदी की कैमरे मुड़ने से पहले ही मंदिर जाना चाहता था. यात्रा के आयोजकों ने मठ के पदाधिकारियों के उस पत्र को अनदेखा कर दिया जो कथित तौर पर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के इशारे पर लिखा गया था, और जिसमें कांग्रेस नेता से दोपहर 3 बजे के बाद धर्मस्थल आने को कहा गया था (तब तक अयोध्या का समारोह खत्म हो गया होता). लिहाजा जब सरमा की पुलिस ने राहुल को मठ तक पहुंचने से पहले रोक दिया, तो वे और उनके संगी-साथी सड़क पर बैठकर महात्मा गांधी का प्रिय भजन 'रघुपति राघव राजा राम' गाने लगे.
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin February 07, 2024 sayısından alınmıştır.
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