अप्रैल 17,1947. राज दरभंगा के अंतिम राजा कामेश्वर सिंह महात्मा गांधी से मिलने पटना स्थित उनके कैंप में पहुंचे थे. उन्होंने गांधी से पूछा, "अब हमारे लिए क्या संदेश है?" गांधी ने कहा, "प्रजा के सेवक बनिए आप अपनी संपत्ति के ट्रस्टी हैं, ऐसा मानकर उस संपत्ति से अपनी जरूरत पूरी करने जितना ही खर्च करें. फिजूल का सब खर्च बंद कर दीजिए." कामेश्वर सिंह ने संदेश सुना और 5,000 रु. का चंदा देकर लौट आए. गांधी का यह संदेश सुनकर उन्हें वह बात याद आ गई होगी, जो उनके पुरखे अक्सर कहा करते थे, "दरभंगा का पूरा राज हमारी कुलदेवी कंकाली का है, हम तो बस उसके ट्रस्टी हैं." बहरहाल, 1961 में जब उन्होंने अपनी वसीयत तैयार कराई तो पूरी संपत्ति का एक ट्रस्ट बनाकर तीन लोगों को उसकी देखरेख की जिम्मेदारी सौंप दी. इनमें दो परिवार से बाहर के लोग थे. एक उनके बहनोई थे. ऐशोआराम की जिंदगी जीने वाली अपनी दो रानियों के लिए उन्होंने सिर्फ प्रति माह पेंशन की व्यवस्था छोड़ी थी. वह भी कभी 3,000 रु. प्रति माह कही जाती है तो कभी 5,000 रुपए.
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin February 28, 2024 sayısından alınmıştır.
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लीक से हटकर
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यूबी की किंगफिशर ने 1990 के दशक में बीयर को कूल बना दिया. तब से घरेलू अल्कोहल उद्योग के जोशीले दिन कभी थमे नहीं
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जिस लीग ने बनाई नई लीक
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आनंद की विरासत
विश्वनाथन आनंद अचानक ही सामने आए और दुनिया फतह कर ली. गुकेश के साथ 2024 में भारत को मिली उपलब्धि उसी विरासत का हिस्सा है
जब स्वच्छता बन गया एक आंदोलन
सामूहिक शर्म से लेकर राष्ट्रीय गौरव तक, खुले में शौच का चलन खत्म करने के देश के सफर में मजबूत सियासी इच्छाशक्ति और नेतृत्व के साथ-साथ समुदाय, कॉर्पोरेट और सेलेब्रिटी के मिलकर काम करने की दास्तान शामिल
जब मौन बन गया उद्घोष
एक पनबिजली परियोजना के विरोध में पर्यावरणविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, कवियों और पत्रकारों ने मिलकर जन जागरुकता अभियान चलाया और भारत के अब बचीखुची उष्णकटिबंधीय वर्षावनों में से एक, केरल की साइलेंट वैली को बचाने में कामयाब रहे।
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