बिहार में सुपौल के एक मिडिल स्कूल के छठी कक्षा के छात्र मोहम्मद अरबाज को हिंदी वर्णमाला के अक्षरों को पहचानने में कठिनाई होती थी. दिसंबर, 2023 में उनका दाखिला मिशन दक्ष की विशेष कक्षा में कराया गया. उन्हें पढ़ाने की जिम्मेदारी उनके ही स्कूल की शिक्षिका सुमन संगम को मिली. वे बताती हैं, "अब अरबाज में काफी सुधार आया है. वह अब तीन - चार अक्षरों के शब्द और सरल वाक्य पढ़ लेता है." सुमन के जिम्मे ऐसे आठ बच्चे हैं. उनकी राय है, "कुछ बच्चों के सीखने की गति जरूर धीमी है, मगर उनमें भी बदलाव आ रहा है."
कुछ ऐसी ही कहानी बेगूसराय जिले के मोहनपुर मध्य विद्यालय मिडिल स्कूल) की पल्लवी और नीकू कुमार की है. सातवीं कक्षा के ये दोनों छात्र महादलित समुदाय से आते हैं. उनके शिक्षक राजन कुमार बताते हैं, "दोनों बच्चों को हिंदी पढ़नी तक नहीं आती थी. एक से सौ तक संख्या की ठीक से पहचान नहीं थी. मिशन दक्ष में इन्हें मेरे जिम्मे दिया गया. अब पल्लवी धड़ल्ले से हिंदी लिखती बोलती है. अंग्रेजी के शब्द पढ़ लेती है और गणित में जोड़-घटाव, गुणा-भाग से आगे बढ़ कर अब लघुत्तम तक पहुंच गई है. वहीं नीकू कुमार भी अब धड़ल्ले से हिंदी पढ़ और लिख रहा है. एक से 20 तक का पहाड़ा जान गया है और जोड़-घटाव, गुणा-भाग बनाने लगा है."
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin March 13, 2024 sayısından alınmıştır.
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