"जलेबी सी स्वादिष्ट है फिजिक्स"
India Today Hindi|April 17, 2024
जहां सीबीएसई बोर्ड की परीक्षाएं 2 अप्रैल को खत्म हुईं वहीं आइएससी और आइसीएसई बोर्ड के स्टूडेंट्स ने भी 3 अप्रैल को आखिरी पेपर लिखा. मगर बोर्ड इयर वाले छात्रों के लिए यह शायद ही आराम लेकर आया हो. जहां 12वीं के बाद छात्र तमाम कंपटिशन की तैयारी में जुट जाएंगे, वहीं 10वीं की परीक्षा दे चुके स्टूडेंट इस समय इस माथापच्ची के बीच होंगे कि 11वीं में आखिर कौन सा विषय लें. इस बीच इंडिया टुडे के असिस्टेंट एडिटर (डिजिटल) धनंजय कुमार की मुलाकात एक ऐसी शख्सियत से हुई जो नौवीं कक्षा में फेल हो गए थे, लेकिन फिर आइआइटी कानपुर में टॉपर बन वापसी की. उसी आइआइटी में 15 साल तक पढ़ाया और देश के बड़े परमाणु वैज्ञानिक बन गए. डॉ. हरीश चंद्र वर्मा, जिनकी किताबें 'कॉन्सेप्ट्स ऑफ फिजिक्स' और 'क्वांटम फिजिक्स' शायद ही किसी साइंस के स्टूडेंट ने न पढ़ी हों, को साल 2020 में फिजिक्स की दुनिया में अपने अपने योगदान के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया. छात्रों के बीच एचसीवी के नाम से मशहूर प्रोफेसर वर्मा ने बातचीत में भारतीय शिक्षा पद्धति और स्कूल सिस्टम, परीक्षा एवं फिजिक्स पढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की, कुछ अंश:
धनंजय कुमार
"जलेबी सी स्वादिष्ट है फिजिक्स"

• कई छात्रों को फिजिक्स विषय काफी मुश्किल लगता है, लेकिन आप एक 'जलेबी' के उदाहरण से समझाकर इसे जलेबी जितना स्वादिष्ट कैसे बना देते हैं?

देखिए, जलेबी तो स्वादिष्ट है, लेकिन फिजिक्स के केस में इसकी टेढ़ी-मेढ़ी शक्ल से लोगों को डराया जा रहा है. आप सांस लेने से लेकर फोन पकड़ने तक, हर पल फिजिक्स के साथ ही जी रहे हैं, तो फिजिक्स सबको आती है. हमारे स्कूल सिस्टम में जो फिजिक्स पढ़ाई जाती है उसका तरीका ठीक नहीं है. हम असल जिंदगी के फिजिक्स को दरकिनार कर देते हैं, और मुश्किल-मुश्किल सूत्रों का इस्तेमाल करने लगते हैं. सिर्फ एक जलेबी बनाने की प्रक्रिया से बच्चों को उष्मा का संवहन, डूबने-तैरने का सिद्धांत, फर्मेंटेशन-ऑक्सीकरण, दाब परिवर्तन, बॉइलिंग, दहन, जीभ से स्वाद के सूचक, विसरण आदि को समझाया जा सकता है. शिक्षक चाहें तो इसके सहारे विज्ञान के गूढ़ सिद्धांतों को आसान कर सकते हैं.

Bu hikaye India Today Hindi dergisinin April 17, 2024 sayısından alınmıştır.

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