यहां लड़ाई दो सियासी सितारों की

शशि थरूर से जब यह पूछा जाता है कि वे तिरुवनंतपुरम के बीचोबीच अपने जिस बरगंडी लाल चुनाव वाहनम के ऊपर वे इतने खतरनाक ढंग से बैठते हैं, उसे भला क्या नाम दिया जाए, इस पर वे एक बार को तो अवाक् रह जाते हैं, उन्हें शब्द नहीं सूझते. कुछ देर की चुप्पी के बाद वे हंसते हुए कहते हैं, "यह पिक-अप ट्रक है जिस पर मुझे एक कुर्सी और दो-एक साथियों के लिए काफी जगह मिल जाती है ताकि हम काफिले के साथ गुजरते हुए लोगों की तरफ हाथ हिला सकें. "केरल की राजधानी में गर्मी है और उमस भी. थरूर को सूरज और बारिश से बचाने के लिए कुल जमा एक अस्थायी तिरपाल और उनके बैठने की जगह के बगल में एक छोटा-सा एयरकंडीशनर लगा है. कांग्रेस के टिकट पर तिरुवनंतपुरम सीट से लगातार तीन लोकसभा चुनाव जीतने के बाद 68 वर्षीय थरूर अनुभवी चुनाव प्रचारक बन गए हैं- पैदल राहगीरों, गुजरते और खड़े वाहनों और उत्सुक दुकानदारों की तरफ बहुत उत्साह से हाथ हिलाते हुए उनका चेहरा आकर्षक मुस्कान से खिल उठता है. हवा के झोंके उनके घने सुनहरे भूरे बालों को बीच-बीच में लहरा देते हैं. आगे चल रही उनकी पायलट वैन में ढोल बजाकर उनके आगमन की घोषणा करते तालवादकों का एक बैंड है, तो दूसरी वैन से उनके कसीदे काढ़ते गाने बज जा रहे हैं. 2019 में थरूर इस सीट से मतों के भारी अंतर से आसानी से जीत गए थे, लेकिन इस बार उन्हें लड़ाई की तपिश महसूस हो रही है और कहीं ज्यादा कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है.
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin April 24, 2024 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Giriş Yap
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin April 24, 2024 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Giriş Yap

सामने खड़ा हिमालय-सा खतरा
चीन की विशालकाय ब्रह्मपुत्र बांध परियोजना ने भारत के लिए बजाई खतरे की घंटी. इसने जल सुरक्षा, पर्यावरण पर पड़ने वाले असर और इस अति महत्वपूर्ण नदी के ऊपरी हिस्से पर बीजिंग के नियंत्रण को लेकर भी चिंता बढ़ाई

न्यायपालिका पर धुध
दिल्ली हाइकोर्ट के एक वरिष्ठ न्यायाधीश के आवास पर एक दिन देर रात को लगी आग की लपटें देश में कहीं ज्यादा तूफान उठा रही हैं. न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के आवास के आउट हाउस में 14 मार्च की रात करीब 11.30 बजे आग लग गई. उस समय न्यायमूर्ति वर्मा और उनकी पत्नी भोपाल में थे.

मान की बदली चाल
बीस मार्च की दरम्यानी रात पंजाब पुलिस शंभू (पटियाला-अंबाला राजमार्ग पर) और खनौरी (संगरूरजींद सीमा) बॉर्डर के किसान यूनियन के विरोध स्थलों पर टूट पड़ी, जहां फरवरी 2024 से प्रदर्शन चल रहे थे.

जातिवाद की दीवार टूटी
संताना दास की पूरी जिंदगी पूर्वी बर्धमान जिले के कटवा उप-मंडल स्थित गिधाग्राम स्थित शिव मंदिर में पूजा करने जाने वालों को एक सुरक्षित दूरी से देखने में बीत गई.

अतीत की कब्र खोदकर होगा भविष्य का निर्माण ?
औरंगजेब की कब्र ध्वस्त करने की मांग ऐसी ड्रामा सीरीज की ताजा कड़ी की तरह है, जिसके कुछ एपिसोड प्रसारित हो चुके हैं और शेष अभी आने बाकी हैं.

और अब अलवर ने भी भरी उड़ान
एक जुनूनी रंगकर्मी की जिद ने अलवर जैसे गंवई चौहद्दी वाले शहर को राष्ट्रीय रंगमंच के नक्शे पर ला दिया. राजस्थान के हर जिले में रंगोत्सव अब उनकी मंशा

यहां भी नफरत के रंग!
मरुस्थली राज्य राजस्थान की अपने पड़ोसी राज्यों की तुलना में कुछ हद तक शांत छवि रही है, लेकिन अब यह साख तेजी से धूल-धूसरित होती जा रही है.

अनूठे खेल का बिहार अध्याय
बि हार की राजधानी पटना के पाटलिपुत्र इंडोर स्टेडियम में रंग-बिरंगी रोशनी के बीच हाल ही एक अनूठे खेल का वर्ल्ड कप खेला गया. 2011 में इस खेल के वर्ल्ड कप के आयोजन की शुरुआत हुई थी.

इतिहास बना हथियार
औरंगजेब की विवादास्पद विरासत पर महाराष्ट्र में भड़की हिंसा और उग्र बहसों की लपटें तो हिंदुत्व के पैरोकारों की अपनी धारणा के मुताबिक इतिहास की गलतियों को दुरुस्त करने की कोशिश की ताजा मिसाल भर

भ्रष्टाचार का निवेश!
'इन्वेस्ट यूपी' के सीईओ रहे आइएएस अभिषेक प्रकाश के वसूली प्रकरण ने यूपी सरकार की कराई किरकिरी. निलंबित हुए अफसरों के बाद में बहाल होने के चलन को लेकर भी योगी सरकार पर सवाल