कहते हैं ना कि दो का साथ तो साथ है और उससे ज्यादा होते ही भीड़. महाराष्ट्र में तीन पार्टियों की 'महायुति' को अब यह महसूस होने लगा है. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), शिवसेना के शिंदे धड़े और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अजित पवार धड़े के इस महागठबंधन के भीतर खींचतान आम चुनाव से ठीक पहले चरम पर पहुंचती दिख रही है.
उसे उस वक्त पहली बड़ी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा जब राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने उम्मीदवारों की पहली सूची में हिंगोली से मौजूदा सांसद हेमंत पाटील के नाम का ऐलान किया लेकिन भाजपा की स्थानीय इकाई की ओर से विरोध के बाद उनकी जगह बाबूराव कदम कोहलीकर को लाना पड़ा. पाटील उन 13 सांसदों में थे जो जून 2022 में मूल पार्टी छोड़कर शिंदे के साथ आए, बताते हैं कि उन्हें दोबारा उम्मीदवारी का भरोसा दिलाया गया था. उन्हें मनाने के लिए उनकी पत्नी राजश्री को पड़ोसी यवतमाल-वाशिम सीट से सेना की पांच बार की सांसद भावना गवली पाटील की जगह उम्मीदवार बनाना पड़ा है. इससे भावना का नाराज होना लाजिमी था उनका स्थानीय नबियों के बीच खासा दबदबा है, हालांकि उन्होंने कहा है कि वे पार्टी के लिए प्रचार करेंगी. भाजपा के नेता शिवाजी जाधव उधर कोहलीकर से भी खुश नहीं क्योंकि वे खुद चुनाव लड़ना चाहते थे और बागी हो गए हैं. शिंदे ने रामटेक के सांसद कृपाल तुमाने को कांग्रेस के दलबदलू राजू पारवे से बदल दिया. ऐसा भाजपा के इशारे पर हुआ बताते हैं.
अमरावती में भाजपा की नवनीत कौर राणा ने भी जैसे गठबंधन के भीतर ही पंगा ले लिया है. महायुति की सहयोगी प्रहार जनशक्ति पार्टी पूर्व मंत्री बच्चू कडू ने इस निर्वाचन क्षेत्र से दिनेश बूब को उतारा है. यहां कांग्रेस के बलवंत वानखेड़े भी मैदान में हैं. बताते हैं कि सेना के नेता भी कडू की मदद कर रहे हैं क्योंकि राणा और उनके निर्दलीय विधायक पति रवि राणा उन्हें कतई नहीं सुहाते. दोनों पक्षों में तनातनी इतनी गहरी है कि इस मुकाबले को 'राणा दंपती बनाम बाकी' करार दिया जा रहा है.
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin May 01, 2024 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Giriş Yap
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin May 01, 2024 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Giriş Yap
लीक से हटकर
मध्य प्रदेश में जंगली सैर से लेकर लद्दाख में पश्मीना के इतिहास को जानने तक, हमने कुछ खास यात्रा अनुभवों की सूची तैयार की है जो आपको एक अनदेखे भारत के करीब ले जाएंगे
खूबसूरत काया का जलवा
भारत की खूबसूरत बालाएं और वैश्विक सौंदर्य प्रतियोगिताएं, लगता है नब्बे के दशक से एक-दूसरे के लिए ही बनी हैं. और यह सिर्फ किस्मत की बात नहीं. खिताब जीतने वाली कई सुंदरियों ने बाद में इसके सहारे अपने करियर को बुलंदियों पर पहुंचाया
खरीदारी का मॉडर्न ठिकाना
शॉपिंग मॉल भारत में '90 के दशक की ऐसी अनूठी घटना है जिसने भारतीय मध्य वर्ग की खरीद के तौर-तरीकों को बदल दिया. 'खरीदारी के साथ-साथ मनोरंजन' केंद्र होने की वजह से वे अब कामयाब हैं. वहां हर किसी के लिए कुछ न कुछ है
छलकने लगे मस्ती भरे दिन
यूबी की किंगफिशर ने 1990 के दशक में बीयर को कूल बना दिया. तब से घरेलू अल्कोहल उद्योग के जोशीले दिन कभी थमे नहीं
डिस्को का देसी अंदाज
घर हो या कोई भी नुक्कड़-चौराहा, हर तरफ फिल्मी गानों की बादशाहत कायम थी. उसके अलावा जैसे कुछ सुनाई ही नहीं पड़ता था. तभी भारतीय ब्रिटिश गायकसंगीतकार बिट्टू ने हमें नाजिया से रू-ब-रू कराया, जिनकी आवाज ने भारतीयों को दीवाना बना दिया. सच में लोग डिस्को के दीवाने हो गए. इसके साथ एक पूरी शैली ने जन्म लिया
जिस लीग ने बनाई नई लीक
लगातार पड़ते छक्के, स्टैंड में बॉलीवुड सितारों और नामी कॉर्पोरेट हस्तियों और सत्ता- रसूखदारों की चकाचौंध, खूबसूरत बालाओं के दुमके - आइपीएल ने भद्रलोक के इस खेल को रेव पार्टी सरीखा बना डाला, जहां हर किसी की चांदी ही चांदी है
आनंद की विरासत
विश्वनाथन आनंद अचानक ही सामने आए और दुनिया फतह कर ली. गुकेश के साथ 2024 में भारत को मिली उपलब्धि उसी विरासत का हिस्सा है
जब स्वच्छता बन गया एक आंदोलन
सामूहिक शर्म से लेकर राष्ट्रीय गौरव तक, खुले में शौच का चलन खत्म करने के देश के सफर में मजबूत सियासी इच्छाशक्ति और नेतृत्व के साथ-साथ समुदाय, कॉर्पोरेट और सेलेब्रिटी के मिलकर काम करने की दास्तान शामिल
जब मौन बन गया उद्घोष
एक पनबिजली परियोजना के विरोध में पर्यावरणविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, कवियों और पत्रकारों ने मिलकर जन जागरुकता अभियान चलाया और भारत के अब बचीखुची उष्णकटिबंधीय वर्षावनों में से एक, केरल की साइलेंट वैली को बचाने में कामयाब रहे।
बताने को मजबूर हुए बाबू
जमीनी स्तर पर संघर्ष से जन्मे इस ऐतिहासिक कानून ने भारत में लाखों लोगों के हाथों में सूचना का हथियार थमाकर गवर्नेस को न सिर्फ बदल दिया, बल्कि अधिकारों की जवाबदेही भी तय करने में बड़ी भूमिका निभाई