समस्तीपुर शहर के बीचोबीच हरी दीवारों और एसबेस्टस की छत वाले एक छोटे से मकान कर्पूरी आश्रम में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) का जिला कार्यालय है. 27 अप्रैल की दोपहर इसी में 8-10 कार्यकर्ताओं की बैठकी जमी हुई थी. जिक्र चला नेताओं के बेटे-बेटियों के चुनाव लड़ने का. बातों ही बातों में कार्यकर्ता मनोरंजन प्रसाद यादव के मुंह से निकल गया, "किसी एक पार्टी का नहीं, सबका यही हाल है. कार्यकर्ता लोग पांच साल दरियै बिछाता रह जाता है और लीडर बम्बई से लाकर कंडीडेट उतार देते हैं. कार्यकर्ता को कोई पूछ नहीं करता, ऊ इलक्सन लड़े भी तो कैसे लड़े. कम से कम पांच करोड़ त नगदी चाही ना, पॉकिट में!"
मनोरंजन का इशारा समस्तीपुर लोकसभा सीट की तरफ था. वहां इस बार दोनों प्रमुख धड़ों से दो बड़े राजनेताओं के बच्चे चुनाव में हैं. एनडीए की तरफ से लोकतांत्रिक जनशक्ति पार्टी (लोजपा रामविलास) के टिकट पर शांभवी चौधरी चुनाव लड़ रही हैं, जो जनता दल यूनाइटेड (जद यू) नेता अशोक चौधरी की बेटी हैं. वहीं, इंडिया गठबंधन की तरफ से कांग्रेस के सन्नी हजारी मैदान में हैं, जो जद (यू) केही महेश्वर हजारी के बेटे हैं. दिलचस्प है कि दोनों संतानों ने नॉमिनेशन से चंद रोज पहले ही अपनी-अपनी पार्टियों की मेंबरशिप ली है. इससे पहले वे किसी राजनैतिक दल में नहीं थे. ऐन चुनाव के वक्त इधर जॉइनिंग, उधर टिकट हाथ में.
ये दोनों कोई इकलौती मिसाल नहीं हैं, जो मां-बाप की सियासी विरासत की वजह से चुनाव में उतरे हैं. बिहार में इस बार कम से कम छह उम्मीदवार ऐसे हैं, जिन्हें माता-पिता की वजह से पहली बार बिना किसी खास अनुभव के बड़े गठबंधनों से लोकसभा का टिकट मिला है. लालू प्रसाद यादव की दूसरी संतान रोहिणी आचार्य भी इनमें शुमार हैं. उन्हें राजद ने उस छपरा लोकसभा सीट से टिकट दिया है, जहां पहले लालू खुद चुनाव लड़े थे. रोहिणी ने पिता को अपनी किडनी डोनेट की है. लालू यादव की बड़ी बेटी मीसा भारती 2014 से ही पाटलिपुत्र लोकसभा सीट से चुनाव लड़ती रही हैं और इस बार भी मैदान में हैं.
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin May 15, 2024 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Giriş Yap
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin May 15, 2024 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Giriş Yap
लीक से हटकर
मध्य प्रदेश में जंगली सैर से लेकर लद्दाख में पश्मीना के इतिहास को जानने तक, हमने कुछ खास यात्रा अनुभवों की सूची तैयार की है जो आपको एक अनदेखे भारत के करीब ले जाएंगे
खूबसूरत काया का जलवा
भारत की खूबसूरत बालाएं और वैश्विक सौंदर्य प्रतियोगिताएं, लगता है नब्बे के दशक से एक-दूसरे के लिए ही बनी हैं. और यह सिर्फ किस्मत की बात नहीं. खिताब जीतने वाली कई सुंदरियों ने बाद में इसके सहारे अपने करियर को बुलंदियों पर पहुंचाया
खरीदारी का मॉडर्न ठिकाना
शॉपिंग मॉल भारत में '90 के दशक की ऐसी अनूठी घटना है जिसने भारतीय मध्य वर्ग की खरीद के तौर-तरीकों को बदल दिया. 'खरीदारी के साथ-साथ मनोरंजन' केंद्र होने की वजह से वे अब कामयाब हैं. वहां हर किसी के लिए कुछ न कुछ है
छलकने लगे मस्ती भरे दिन
यूबी की किंगफिशर ने 1990 के दशक में बीयर को कूल बना दिया. तब से घरेलू अल्कोहल उद्योग के जोशीले दिन कभी थमे नहीं
डिस्को का देसी अंदाज
घर हो या कोई भी नुक्कड़-चौराहा, हर तरफ फिल्मी गानों की बादशाहत कायम थी. उसके अलावा जैसे कुछ सुनाई ही नहीं पड़ता था. तभी भारतीय ब्रिटिश गायकसंगीतकार बिट्टू ने हमें नाजिया से रू-ब-रू कराया, जिनकी आवाज ने भारतीयों को दीवाना बना दिया. सच में लोग डिस्को के दीवाने हो गए. इसके साथ एक पूरी शैली ने जन्म लिया
जिस लीग ने बनाई नई लीक
लगातार पड़ते छक्के, स्टैंड में बॉलीवुड सितारों और नामी कॉर्पोरेट हस्तियों और सत्ता- रसूखदारों की चकाचौंध, खूबसूरत बालाओं के दुमके - आइपीएल ने भद्रलोक के इस खेल को रेव पार्टी सरीखा बना डाला, जहां हर किसी की चांदी ही चांदी है
आनंद की विरासत
विश्वनाथन आनंद अचानक ही सामने आए और दुनिया फतह कर ली. गुकेश के साथ 2024 में भारत को मिली उपलब्धि उसी विरासत का हिस्सा है
जब स्वच्छता बन गया एक आंदोलन
सामूहिक शर्म से लेकर राष्ट्रीय गौरव तक, खुले में शौच का चलन खत्म करने के देश के सफर में मजबूत सियासी इच्छाशक्ति और नेतृत्व के साथ-साथ समुदाय, कॉर्पोरेट और सेलेब्रिटी के मिलकर काम करने की दास्तान शामिल
जब मौन बन गया उद्घोष
एक पनबिजली परियोजना के विरोध में पर्यावरणविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, कवियों और पत्रकारों ने मिलकर जन जागरुकता अभियान चलाया और भारत के अब बचीखुची उष्णकटिबंधीय वर्षावनों में से एक, केरल की साइलेंट वैली को बचाने में कामयाब रहे।
बताने को मजबूर हुए बाबू
जमीनी स्तर पर संघर्ष से जन्मे इस ऐतिहासिक कानून ने भारत में लाखों लोगों के हाथों में सूचना का हथियार थमाकर गवर्नेस को न सिर्फ बदल दिया, बल्कि अधिकारों की जवाबदेही भी तय करने में बड़ी भूमिका निभाई