यहां उम्मीदवार कोई और नहीं बल्कि दुष्यंत की मां नैना चौटाला हैं. जजपा कार्यालय से बमुश्किल 25 मीटर की दूरी पर बनी एक चौपाल पर तकरीबन डेढ़ दर्जन लोग बैठकर चुनावी चर्चा कर रहे हैं. इनमें से एक हैं स्थानीय किसान हरवीर सिंह. वे कहते हैं, "चौटाला परिवार की कर्मभूमि हिसार से जजपा इस चुनाव में और इसी साल होने वाले विधानसभा चुनावों में पूरी तरह से साफ हो जाएगी. हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार और केंद्र की मोदी सरकार किसान आंदोलन के दौरान हम किसानों पर जुल्म कर रही थीं, तब दुष्यंत सत्ता में भागीदार थे और यह सब चुपचाप देख रहे थे. आज हिसार का हर वर्ग उनके खिलाफ है."
लोकसभा चुनाव में पूरे हरियाणा में भले ही सीधा मुकाबला प्रदेश और केंद्र की सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और मुख्य विपक्षी कांग्रेस में है लेकिन यहां की 10 लोकसभा सीटों पर जजपा और इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के उम्मीदवार भी चुनावी मैदान में हैं. दोनों पार्टियां इनमें से उन सीटों पर अपने उम्मीदवारों की बेहतर संभावना देख रही हैं, जिन पर भाजपा के साथ गठबंधन में होने पर जजपा की मूल पार्टी इनेलो अपने उम्मीदवार उतारती थी. हिसार और सिरसा की गिनती ऐसी ही लोकसभा सीटों में होती है. ये दोनों ऐसे लोकसभा क्षेत्र हैं, जहां 2019 में पहली बार भाजपा जीती थी.
हरियाणा की जाट राजनीति के केंद्र रोहतक, हिसार और सिरसा ही हैं. रोहतक और हिसार के कुछ हिस्से को जाटों का देशवाली क्षेत्र माना जाता है. इसमें प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा मजबूत माने जाते हैं. वहीं हिसार के एक बड़े हिस्से और सिरसा को मिलाकर जाट समाज का जो बागड़ क्षेत्र है, उसमें चौटाला परिवार मजबूत है. हरियाणा की इन जाट बहुल तीनों लोकसभा सीटों पर आम लोगों से बातचीत का लुब्बेलुबाब यही निकलता है कि चौटाला परिवार की विरासत के साथ खड़ी हुई इस नई नवेली पार्टी जजपा से उनका मोहभंग हो रहा है.
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin June 05, 2024 sayısından alınmıştır.
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