प्रः 2014 और 2019 के मुकाबले इस चुनाव में क्या फर्क है?
हर चुनाव वक्त के साथ और एक राज्य से दूसरे राज्य में अपने मिजाज में बदलता रहता है. 2014 में वोट बदलाव के लिए था. वोटर नाराज थे, असंतुष्ट थे और काफी नकारात्मकता थी. विकल्प प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी थे. मतदाताओं ने भारी अंतर से हमारा समर्थन किया. 2019 में उन्होंने देखा कि पीएम मोदी ने उनकी उम्मीदों से कहीं बेहतर प्रदर्शन किया था तो इसलिए फिर उन्हें सत्ता में लाने के लिए वोट दिया. 2024 में यह विश्वास बन गया है कि प्रधानमंत्री की अगुआई में देश सुरक्षित है, विकास कर रहा है और उनके नेतृत्व में विकसित भारत की परिकल्पना है. फर्क इतना ही दिखाई देता है कि पिछली बार विपक्ष मुद्दों की बात कर रहा था, उनके पास फिर भी कुछ था, कुछ ठोस था. वे लड़ाई लड़ रहे थे. इस बार वे बस टूटे और बिखरे हैं. वे लड़ने का ढोंग कर रहे हैं पर भीतर से उन सबने हार स्वीकार कर ली है. मिसाल के तौर पर, पिछली बार उन्होंने यूपी में हमें टक्कर दी थी. विपक्ष के पास मजबूत गठजोड़ था और उन्होंने एड़ी-चोटी का जोर लगाकर लड़ाई लड़ी. इस बार उन्होंने हथियार डाल दिए. वे (अपने गढ़ रायबरेली, कन्नौज और मैनपुरी भी हार रहे हैं. वे जो मुद्दे उठा रहे थे, जनता उन्हें पहले ही नकार चुकी है. मैं दो साल से कह रहा हूं कि अगर आपको विपक्ष की राजनीति करनी है तो लीक से हटकर सोचना होगा और कड़ी मेहनत करनी होगी. आप नहीं करते तो यह हमारी गलती थोड़े ई है.
● इस चुनाव में मुख्य मुद्दे क्या हैं?
सबसे पहली बात तो यह कि मतदाता पहले ही अपना मन बना चुके हैं. विपक्ष अगर सोचता है कि चुनाव प्रचार से कुछ बदलेगा, तो वे गलत सोचते हैं. हमारे लिए मुख्य मुद्दे हैं-विकास, उस विकास को गति देना; गति, पैमाना और कौशल बढ़ाना. सबसे बढ़कर चीजों को मुख्यधारा में लाना और जनता को सशक्त बनाना हमारी शीर्ष प्राथमिकताएं हैं-महिलाओं का सशक्तिकरण, युवाओं का सशक्तिकरण, हाशिए पर पड़े तबकों का सशक्तिकरण, किसानों का सशक्तिकरण, दलितों का सशक्तिकरण, आदिवासियों का सशक्तिकरण. इसके साथ भारत बढ़ेगा.
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin June 05, 2024 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Giriş Yap
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin June 05, 2024 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Giriş Yap
मजबूत हाथों में भविष्य
भविष्य के बिजनेस लीडर्स को गढ़ने में बिजनेस स्कूलों की बेहद निर्णायक भूमिका है, ऐसा भविष्य जिसकी अगुआई टेक्नोलॉजी करेगी
कॉर्पोरेट के पारखी
आइआइएम कलकत्ता के छात्रों को महज बिजनेस दिग्गज बनने के लिए ही प्रशिक्षित नहीं किया जा रहा, वे पार्टनरशिप्स के जरिए राज्य की नौकरशाही को ऊर्जावान बनाने में भी मदद कर रहे
विरासत की बड़ी लड़ाई
बड़े दांव वाले शक्ति प्रदर्शन के लिए मैदान सज गया है, राजनैतिक दिग्गज और ताकतवर परिवार आदिवासी बहुल क्षेत्र पर कब्जे के लिए आ गए हैं आमने-सामने
कौन दमदार शिवसेना
महाराष्ट्र में किसका राज चलेगा, यह लोगों के वोट से तय होगा लेकिन साथ ही यह भी तय होगा कि कौन-सी शिवसेना असली है-ठाकरे की या शिंदे की
सीखने का सुखद माहौल
स्वास्थ्य प्रबंधन में एक नए पाठ्यक्रम से लेकर ब्लॉकचेन तकनीक पर केंद्रित कार्यक्रम तक, आइआइएम लखनऊ अपने नए ईकोसिस्टम के साथ अग्रणी भूमिका निभा रहा
ट्रंप की नजर में दुनिया
अमेरिका के लोगों ने दूसरी बार डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में अपनी आस्था जताई है. ऐसे में भारत और बाकी दुनिया इस बात के लिए अपने को तैयार कर रही कि व्यापार और भू-राजनीतिक व्यवस्था के संदर्भ में 47वें राष्ट्रपति के अमेरिका-प्रथम के एजेंडे का आखिर क्या मायने होगा?
नवाचार की शानदार चमक
इस संस्थान में शिक्षा का मतलब ऐसे समाधान तैयार करना है जिनके केंद्र में देश की सामाजिक वास्तविकता मजबूती से जुड़ी हो
योगी बनाम अखिलेश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 26 अगस्त को आगरा में ताज महल पश्चिमी द्वार स्थित पुरानी मंडी चौराहे पर दुर्गादास राठौर मु की प्रतिमा का अनावरण करने पहुंचे थे.
लैब कॉर्पोरेट लीडरशिप की
सख्त एकेडमिक अनुशासन, रिसर्च पर फोकस और विश्वस्तरीय गुणवत्ता के जरिए आइआइएम-के बिजनेस एजुकेशन की नई परिभाषा गढ़ रहा
सत्ता पर दबदबे की नई होड़
इन दिनों धुंध की मोटी चादर में लिपटी कश्मीर घाटी में छह साल के इंतजार के बाद नई उम्मीद जगी है. केंद्र शासित प्रदेश की नवनिर्वाचित नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) की सरकार ने आते ही अपने इरादे साफ कर दिए - जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा दिलाना उनका पहला संकल्प है.