आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने जा रहे एन. चंद्रबाबू नायडू और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कड़ी सौदेबाजी में मंझे हुए खिलाड़ी हैं. लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टियों के मजबूत प्रदर्शन के बाद अब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की सरकार में वे भाजपा के लिए अपरिहार्य हो गए हैं. संभावना यही है कि दोनों अपनी पुरानी मांग फिर से उठा सकते हैं. यही कि दिल्ली उनके राज्य को प्राथमिकता के आधार पर विशेष राज्य का दर्जा (एससीएस) दे.
ऐसे दर्जे में केंद्र सरकार आर्थिक/भौगोलिक रूप से पिछड़े राज्य के तेजी से विकास के लिए विशेष वित्तीय अनुदान देती है. तेलुगुदेशम पार्टी के सुप्रीमो नायडू लंबे समय से विशेष दर्जे की मांग करते आ रहे हैं. हालांकि इसका वादा यूपीए-2 के शासन में उस समय किया गया था, जब संसद में आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2014 पारित किया जा रहा था.
नायडू की मांग आखिरकार 2018 में खारिज कर दी गई, जिसके बाद वे एनडीए से अलग हो गए. यह उसके बाद हुआ जब अक्तूबर 2015 में उन्होंने अमरावती में नई राजधानी के शिलान्यास के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आमंत्रित किया था. अमरावती की परियोजना नायडू के दिल के बेहद करीब थी. इसके लिए वे केंद्रीय राशि और बाहर से कर्ज के जरिए पैसा जुटाना चाहते थे..
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin 19th June, 2024 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Giriş Yap
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin 19th June, 2024 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Giriş Yap
लीक से हटकर
मध्य प्रदेश में जंगली सैर से लेकर लद्दाख में पश्मीना के इतिहास को जानने तक, हमने कुछ खास यात्रा अनुभवों की सूची तैयार की है जो आपको एक अनदेखे भारत के करीब ले जाएंगे
खूबसूरत काया का जलवा
भारत की खूबसूरत बालाएं और वैश्विक सौंदर्य प्रतियोगिताएं, लगता है नब्बे के दशक से एक-दूसरे के लिए ही बनी हैं. और यह सिर्फ किस्मत की बात नहीं. खिताब जीतने वाली कई सुंदरियों ने बाद में इसके सहारे अपने करियर को बुलंदियों पर पहुंचाया
खरीदारी का मॉडर्न ठिकाना
शॉपिंग मॉल भारत में '90 के दशक की ऐसी अनूठी घटना है जिसने भारतीय मध्य वर्ग की खरीद के तौर-तरीकों को बदल दिया. 'खरीदारी के साथ-साथ मनोरंजन' केंद्र होने की वजह से वे अब कामयाब हैं. वहां हर किसी के लिए कुछ न कुछ है
छलकने लगे मस्ती भरे दिन
यूबी की किंगफिशर ने 1990 के दशक में बीयर को कूल बना दिया. तब से घरेलू अल्कोहल उद्योग के जोशीले दिन कभी थमे नहीं
डिस्को का देसी अंदाज
घर हो या कोई भी नुक्कड़-चौराहा, हर तरफ फिल्मी गानों की बादशाहत कायम थी. उसके अलावा जैसे कुछ सुनाई ही नहीं पड़ता था. तभी भारतीय ब्रिटिश गायकसंगीतकार बिट्टू ने हमें नाजिया से रू-ब-रू कराया, जिनकी आवाज ने भारतीयों को दीवाना बना दिया. सच में लोग डिस्को के दीवाने हो गए. इसके साथ एक पूरी शैली ने जन्म लिया
जिस लीग ने बनाई नई लीक
लगातार पड़ते छक्के, स्टैंड में बॉलीवुड सितारों और नामी कॉर्पोरेट हस्तियों और सत्ता- रसूखदारों की चकाचौंध, खूबसूरत बालाओं के दुमके - आइपीएल ने भद्रलोक के इस खेल को रेव पार्टी सरीखा बना डाला, जहां हर किसी की चांदी ही चांदी है
आनंद की विरासत
विश्वनाथन आनंद अचानक ही सामने आए और दुनिया फतह कर ली. गुकेश के साथ 2024 में भारत को मिली उपलब्धि उसी विरासत का हिस्सा है
जब स्वच्छता बन गया एक आंदोलन
सामूहिक शर्म से लेकर राष्ट्रीय गौरव तक, खुले में शौच का चलन खत्म करने के देश के सफर में मजबूत सियासी इच्छाशक्ति और नेतृत्व के साथ-साथ समुदाय, कॉर्पोरेट और सेलेब्रिटी के मिलकर काम करने की दास्तान शामिल
जब मौन बन गया उद्घोष
एक पनबिजली परियोजना के विरोध में पर्यावरणविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, कवियों और पत्रकारों ने मिलकर जन जागरुकता अभियान चलाया और भारत के अब बचीखुची उष्णकटिबंधीय वर्षावनों में से एक, केरल की साइलेंट वैली को बचाने में कामयाब रहे।
बताने को मजबूर हुए बाबू
जमीनी स्तर पर संघर्ष से जन्मे इस ऐतिहासिक कानून ने भारत में लाखों लोगों के हाथों में सूचना का हथियार थमाकर गवर्नेस को न सिर्फ बदल दिया, बल्कि अधिकारों की जवाबदेही भी तय करने में बड़ी भूमिका निभाई