राजधानी में श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स के नाम के साथ कई सारे प्रथम जुड़े हुए हैं-वाणिज्य शिक्षा के लिए समर्पित यह न केवल पहला कॉलेज है बल्कि दिल्ली में सह शिक्षा का पहला शैक्षणिक संस्थान भी है जिसने 1985 में लड़कियों के लिए छात्रावास बनवाया. एसआरसीसी जिन चीजों से अद्वितीय बनता है, उनमें दृष्टिकोण, संवाद और अनुभव की विविधता है. छात्रों को कुछ अलग सोचने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है.
एसआरसीसी में जीवन महज एकेडमिक्स तक सीमित नहीं है-कॉलेज की 50 से ज्यादा समितियां हैं और नियमित रूप से पेशेवरों के साथ सेमिनार, वर्कशॉप और इवेंट्स का आयोजन किया जाता है. सबसे बड़ा आकर्षण कैंपस प्लेसमेंट का रिकॉर्ड है. 2022-23 में एसआरसीसी के 500 से अधिक छात्रों को नौकरियां मिलीं जिनमें औसत वेतन 10.15 लाख रु. प्रति वर्ष था, अधिकतम पैकेज 35 लाख रुपए प्रति वर्ष था (पिछले वर्ष की तुलना में 47 फीसद अधिक). करीब 130 छात्रों को इंटर्नशिप के ऑफर मिले जिनका मूल्य 23.8 लाख रुपए था. 100 से ज्यादा कंपनियां भर्तियों के लिए आईं जिनमें मैकिंजी ऐंड कंपनी, बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप और डॉयचे बैंक शामिल हैं.
दूसरों से अलग क्यों है
बीकॉम पूरा करने के बाद प्लेसमेंट का विकल्प चुनने वाले यहां के 90 फीसद छात्रों को हासिल हुई
एसआरसीसी के लिए एनएएसी (नेशनल एसेसमेंट एक्रीडिटेशन काउंसिल) का सीजीपीए स्कोर 3.8/4 है.
छात्रों को पेश औसत वार्षिक वेतन (देश में) 10.4 लाख रुपए है जो बीकॉम के कॉलेजों में दूसरा सबसे अधिक है
एसआरसीसी को प्रति उपलब्ध सीट पर सबसे ज्यादा संख्या में आवेदन मिलते हैं
कॉलेज 'पाइथन' और 'आर' जैसे स्किल एन्हांसमेंट कोर्स के विभिन्न विकल्प देता है जिससे कि छात्र अपनी लर्निंग बढ़ा सकें. उसका शेयर बाजार से जुड़ी बीएसई इंस्टीट्यूट लिमिटेड जैसी संस्थाओं के साथ समझौता है जो आर का इस्तेमाल करके डेटा एनालिटिक्स में वैल्यू एडेड कोर्स की पेशकश करती है
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin July 03, 2024 sayısından alınmıştır.
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तमाशा बनी परीक्षाएं
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सूरत बदलने का इंतजार
यह ऐसी योजना थी जैसे ताजा कटा हुआ चमकता नग हो. पांच साल पहले सूरत डायमंड बोर्स (एसडीबी) को मुंबई बढ़ती भीड़ और लागत वृद्धि का एकदम सटीक विकल्प माना गया था. मुंबई, जहां भारत के अधिकांश हीरा व्यापारी हैं, की टक्कर में हीरा कारोबारियों के लिए शानदार, सस्ते और बड़े ऑफिस, चौड़ी सड़कें, उन्नत हवाई अड्डे के साथ योजनाबद्ध अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय हवाई संपर्क की योजना बनाई गई थी. इसमें सोने में सुहागा प्रस्तावित बुलेट ट्रेन थी जो महज दो घंटे में सूरत से मुंबई बांद्रा कुर्ला कांप्लेक्स तक पहुंचा देती.