एक अरसे बाद 10 अगस्त को राष्ट्रीय जनता दल के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ की पार्टी कार्यालय में बैठक हुई. बैठक को संबोधित करते हुए तेजस्वी यादव ने वहां मौजूद कार्यकर्ताओं को अल्पसंख्यकों के हित में अपने पिता लालू यादव के किए गए कामों की याद दिलाई: "लालूजी सत्ता में रहें न रहें मगर बिहार में उन्होंने दंगा-फसाद नहीं होने दिया. देश के किसी राज्य में पहली बार अल्पसंख्यक आयोग का गठन हुआ तो वह लालूजी ने बिहार में कराया. अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय बनाने की शुरुआत भी उन्होंने ही की. उनके जमाने में राज्य में कहीं दंगा-फसाद होता तो डीएम बाद में पहुंचते थे, मुख्यमंत्री हेलिकॉप्टर से पहले पहुंच जाया करते थे. उन्होंने किसी भी स्थिति में अपनी विचारधारा से समझौता नहीं किया. वक्फ बोर्ड को लेकर पेश बिल के मौके पर लालूजी ने अपने सांसदों के लिए लाइन साफ कर दी थी. उन्होंने कभी भाजपा से समझौता नहीं किया, चाहे उन पर मुकदमे हों, जेल जाएं या फिर उनके परिवार के लोगों पर केस मुकदमे हों."
तेजस्वी ने कहा, "अगर लालूजी सांप्रदायिक ताकतों से नहीं डरे तो उनका लड़का भी नहीं डरेगा. हम आपके सम्मान, आपके अधिकार की लड़ाई लड़ते रहेंगे. चाहे कुछ भी हो जाए. डगमगाएंगे नहीं." उनके इतना कहने के बाद सभा जिंदाबाद के नारों में डूब गई. मगर वे इतने से संतुष्ट नहीं हुए. आखिर में उन्होंने कह ही दिया. "हम सब लोग चाहते हैं कि आने वाले विधानसभा में आप लोगों की उचित भागीदारी सुनिश्चित हो. हम इसे सुनिश्चित कराएंगे."
उचित भागीदारी की बात सुनकर न सिर्फ उस सभा में मौजूद लोग बल्कि बिहार भर के मुस्लिम मतदाता थोड़े संतुष्ट हुए. सोशल मीडिया पर राजद में मुसलमानों को उचित भागीदारी न मिलने के सवाल पर लगातार लिखने वाले युवाओं ने भी टिप्पणी की, "यह सही दिशा में किया हुआ काम है. इज्जत दीजिए, इज्जत मिलेगा." हालांकि एक युवा ने पूछ ही लिया, "टिकट कितना ने मिलेगा?"
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin September 11, 2024 sayısından alınmıştır.
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