भाजपा की अगुआई वाली केंद्र की एनडीए की सरकार ने राजनैतिक दलों और सिविल सोसाइटी के विरोध के बावजूद 18 सितंबर को 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' (ओएनओपी) योजना पर आगे का बढ़ने का फैसला किया. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उस दिन पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय समिति की सिफारिशें स्वीकार कर लीं. समिति ने लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ और उसके बाद अगले 100 दिनों के भीतर नगरपालिकाओं और पंचायतों के चुनाव करवाने का प्रस्ताव किया है. उसने विधायी निकायों के तीनों स्तरों के चुनाव के लिए एक ही मतदाता सूची और चुनावी फोटो पहचान पत्रों (ईपीआइसी) के इस्तेमाल की भी सिफारिश की. मगर एक साथ चुनाव करवाने के लिए मौजूदा कानूनों में 18 संशोधन करने होंगे. इनमें 15 संविधान संशोधन हैं. उम्मीद की जा रही है कि केंद्र सरकार ये सारे संविधान संशोधन विधेयक संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में लाएगी. संविधान के अनुच्छेद 82 (परिसीमन), अनुच्छेद 83 (संसद के सदनों की अवधि), अनुच्छेद 85 (राष्ट्रपति का लोकसभा को भंग करना), अनुच्छेद 172 (राज्य विधानसभाओं की अवधि), अनुच्छेद 174 (राज्य विधानसभाओं का विघटन), अनुच्छेद 356 (राज्यों में राष्ट्रपति शासन) और अनुच्छेद 324 (चुनाव आयोग की शक्तियां) में संशोधन करने होंगे.
पहला संविधान संशोधन विधेयक एक साथ चुनाव करवाने की तरफ बढ़ने की प्रक्रिया स्थापित करने के लिए 82ए के रूप में नया अनुच्छेद जोड़ेगा. अनुच्छेद 82 (1), जिसके तहत राष्ट्रपति लोकसभा की पहली बैठक की तारीख की अधिसूचना जारी करते हैं, इसे प्रभावी बनाएगा. अधिसूचना की तारीख इसलिए 'नियुक्ति की तिथि' कहलाएगी. लोकसभा का कार्यकाल पूरा होने की तारीख के बाद और पहले गठित राज्य विधानसभाओं का समापन अगले आम चुनाव के पहले होगा. इसके बाद लोकसभा और सभी विधानसभाओं के चुनाव एक साथ करवाए जाएंगे.
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin October 09, 2024 sayısından alınmıştır.
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