मुंबई में 11 अक्तूबर को 132 वर्ष पुराने टाटा ट्रस्ट्स के बोर्ड की यह कोई सामान्य बैठक नहीं थी. दो दिन पहले ही टाटा समूह के करिश्माई मानद चेयरमैन और टाटा ट्रस्ट्स के अध्यक्ष, 86 वर्ष के रतन टाटा का निधन हो गया था. टाटा समूह ऐसा परोपकारी दिग्गज घराना है जिसकी टाटा संस में 66% हिस्सेदारी है और टाटा संस 165 अरब डॉलर के नमक से लेकर सॉफ्टवेयर बनाने वाले की होल्डिंग कंपनी है. यह बैठक रतन टाटा के राजकीय अंतिम संस्कार के एक दिन बाद हुई जिसका महत्वपूर्ण एजेंडा था - टाटा ट्रस्ट्स के उत्तराधिकारी के बारे में फैसला करना. इसमें जो हुआ, वह "सहज बदलाव" था, जैसा कि अंदरूनी लोग कहते हैं, बोर्ड में ट्रस्टी और रतन टाटा के सौतेले भाई 67 वर्ष के नोएल टाटा को सर्वसम्मति से चेयरमैन चुन लिया गया.
सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता और दशकों से टाटा समूह के करीबी पर्यवेक्षक एच. पी. रानिना कहते हैं, "नोएल टाटा की नियुक्ति से निरंतरता का संकेत मिलता है." उन्होंने कहा, "नोएल ने रतन टाटा के देहावसान से हुए शून्य को भर दिया है. ट्रस्ट उसी तरह काम करना जारी रखेगा जैसे वह पहले करता रहा है." लेकिन टाटा सरनेम वाले किसी शख्स के इस पर पदारोहण का महत्व इतना बड़ा था कि उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. रतन के पिता नवल टाटा और उनकी दूसरी पत्नी स्विस मूल की सिमोन टाटा (जिन्हें लक्मे ब्रांड तैयार करने का श्रेय दिया जाता है, जिसे बाद में हिंदुस्तान यूनिलीवर को बेच दिया गया) के पुत्र नोएल पिछले 40 से अधिक वर्ष से टाटा समूह से जुड़े हुए हैं और इस समय विभिन्न कंपनियों के बोर्ड में शामिल हैं. वे रिटेल कंपनी ट्रेंट, ग्लोबल ट्रेडिंग और डिस्ट्रीब्यूशन फर्म टाटा इंटरनेशनल, ड्यूरेबल निर्माता वोल्टास और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी टाटा इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष हैं. वे टाटा स्टील और टाइटन कंपनी में वाइस चेयरमैन भी हैं. अपनी नियुक्ति के बाद आयरिश पासपोर्ट धारक नोएल ने एक बयान में कहा, "मैं रतन एन. टाटा और और टाटा समूह के संस्थापकों की विरासत को आगे बढ़ाऊंगा."
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin October 30, 2024 sayısından alınmıştır.
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