3म्मीद तो यही थी कि सत्तारूढ़ महायुति और विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के बीच महाभारत होनी है. लोकसभा चुनाव एमवीए को महाराष्ट्र की कुल 48 सीटों में से 31 पर जीत मिली थी, इसलिए विपक्ष को भारी बढ़त की व्यापक संभावनाएं थीं. लगभग तय था कि मुकाबला कांटे का होगा.
हालांकि, नतीजे आए तो तोहफा महायुति के घटक दलों- भाजपा, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना और उप-मुख्यमंत्री अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) - के हाथ लगा. महायुति ने महाराष्ट्र विधानसभा की कुल 288 सीटों में 230 सीटें जीतकर लगभग सफाया कर दिया. भाजपा को 149 सीटों पर चुनाव लड़कर 132 सीटें, शिवसेना को 81 में से 57 और राकांपा को 59 में से 41 सीटें हासिल हुईं. पांच अन्य छोटे दलों के विधायकों का समर्थन भी भाजपा को मिला है. एमवीए सिर्फ 49 सीटों के साथ जख्म सहलाता रह गया. उसमें शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) को 95 सीटों पर लड़कर सिर्फ 20 सीटें, कांग्रेस को 101 में से 16 सीटें, राकांपा (शरदचंद्र पवार) को 86 में से 10 सीटें और छोटी पार्टियों को चार सीटें ही मिल पाईं. बड़े-बड़े दिग्गज खेत रहे. कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण, विधायक दल के नेता बालासाहेब थोराट और पूर्व मंत्री यशोमति ठाकुर और राकांपा (एससीपी) के राजेश टोपे जैसों को मुंह की खानी पड़ी. राज्य के इतिहास में इस सबसे बड़े जनादेश का मतलब है कि पहली बार विधानसभा में कोई प्रतिपक्ष का नेता नहीं हो सकता है. कोई भी गैर महायुति पार्टी सदन की कुल सदस्य संख्या का 10 फीसद या 29 सीटें हासिल नहीं कर पाई है.
लेकिन जीत का तात्कालिक जोश जैसे ही घटा, भारी-भरकम जनादेश का भार महसूस होने लगा. इस जनादेश ने ने बेशक 132 सीटों और 89 प्रतिशत की स्ट्राइक रेट के साथ भाजपा को राज्य की प्रमुख ताकत बना दिया है. उसके पास बहुमत से महज 13 सीटें कम हैं. पार्टी का प्रदर्शन सभी राजनैतिक पार्टियों से शानदार ही नहीं था, बल्कि उसने राज्य में अपने रिकॉर्ड को भी पीछे छोड़ दिया. भाजपा ऐसी स्थिति में पहुंच गई कि वह महायुति के किसी एक घटक के साथ सरकार बना सकती है. लेकिन उसने महायुति के घटकों के साथ रहना पसंद किया.
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin 11th December, 2024 sayısından alınmıştır.
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