भारत का यह पहला संगीत महोत्सव है जो सस्टेनेबिलिटी यानी टिकाऊपन पर केंद्रित है: इकोज ऑफ अर्थ. बेंगलूरू में यह इस बार अपने सातवें संस्करण के साथ नुमायां हुआ है. इस महोत्सव की थीम है 'सिम्फनी ऑप सीजंस', जो विधाओं, शैलियों, वाद्ययंत्रों और सांस्कृतिक प्रभावों के व्यापक मेल की पड़ताल करती है. स्वॉर्डफिश संस्था के एमडी और इकोज ऑफ अर्थ के फेस्टिवल डायरेक्टर रोशन नेतालकर कहते हैं, "थीम आधारित हिस्सों के जरिए वसंत, ग्रीष्म, वर्षा और शीत ऋतुओं के विभिन्न पहलुओं को जीवंत किया गया है. हमारे यहां पारिस्थितिकी तंत्र और मौसमों के साथ उसके अंतरसंबंध को उभारने वाले आर्ट इंस्टालेशंस भी हैं.”
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin December 18, 2024 sayısından alınmıştır.
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डॉक्टरी की पढ़ाई 3 डी से होती आसान
मेडिकल कोर्सेज में दाखिला मिलना अमूमन मुश्किल होता है, लेकिन दाखिला मिलने के बाद वहां अच्छे से पढ़ाई और भी मुश्किल होती है.
सुखबीर के जीवन का निर्णायक क्षण
चार दिसंबर को अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में सेवा देते हुए शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) नेता सुखबीर सिंह बादल को अप्रत्याशित खतरे का सामना करना पड़ा.
क़ुदरत के रंग-राग
बेंगलूरू में हो रहे इकोज ऑफ अर्थ म्यूजिक फेस्टिवल के सातवें संस्करण का लाइनअप जबरदस्त
टैंक को स्वदेशी बनाने की कनपुरिया तकनीक
कानपुर के कालपी रोड में इंडस्ट्रियल एस्टेट के प्लॉट नंबर 98 में चल रही तीन मंजिला फैक्ट्री आम कारखानों से अलग है.
पुरानी कारों का यूनीकॉर्न
पुरानी कार खरीदने में यही दुविधा रहती है कि कहीं चोरी की तो नहीं या पुलिस केस में तो नहीं फंसी है.
अफसानों का उस्ताद
फिल्म निर्माता इम्तियाज़ अली देहरादून लिटरेचर फेस्टिवल के संरक्षक होने और दोबारा रिलीज हुई लैला मजनूं की सफलता वगैरह के बारे में
आखिरी नतीजे तक जंग
बस्तर में सुरक्षा बलों की भारी मौजूदगी, तकनीक का साथ और सरकार की तरफ से अभियान चलाने की पूरी आजादी के बूते 2024 में माओवादियों के खिलाफ लड़ाई भारी सफलता के साथ आगे बढ़ी
एसी के पीछे की गर्म हवा ! उसे भी साधने का है जुगाड़
पेशे से होम्योपैथिक चिकित्सक प्रमोद स्टीफन का मन ऐसी खोजों में रमता है जो लोगों के लिए लाभदायक तो हो साथ ही पर्यावरण के लिए भी मुफीद हो. उन्होंने इस बार ऐसा जुगाड़ तैयार किया है, जो एसी की गर्म हवा से बाहरी दुनिया को बचाता है.
चाय वालों के लिए वरदान 'फिल्टर कॉफी' मशीन
चंपारण के किसी शहर, कस्बे या बाजार में जाएं, आपको चाय दुकानों पर एक खास चीज नजर आएगी.
बैलों से बना रहे बिजली
लखनऊ में गोसाईंगंज को मोहनलालगंज से जोड़ने वाली सड़क पर पड़ने वाली नई जेल के पीछे तीन एकड़ जमीन पर बनी गोशाला और यहां लगी मशीनें अपनी ही बिजली से रौशन हैं.