चलते-फिरते फोन का जलवा
India Today Hindi|January 01, 2025
भारत की पहली मोबाइल कॉल ने 1995 में एक ऐसे सफर की शुरुआत की जिसने पूरे देश में संचार, अर्थव्यवस्था और सामाजिक गतिविधियों को पूरी तरह से एक नई परिभाषा दे दी
अनिलेश एस. महाजन
चलते-फिरते फोन का जलवा

अगस्त 1995 में भारत के मेट्रो शहरों में नवीनतम नवाचारों को प्रदर्शित करने वाले होर्डिंग्स लगे हुए थे - डिब्बानुमा मोबाइल हैंडसेट, जो ग्रे मार्केट में बिकने वाले महंगे कॉर्डलेस फोन की तरह दिखते थे. देश ने अभी-अभी अपना 48वां स्वतंत्रता दिवस मनाया था और नई दिल्ली में गैर-वाणिज्यिक मोबाइल टेलीफोन सेवाएं शुरू की गई थीं. लेकिन कुछ दिन पहले एक ऐतिहासिक लम्हा उस वन्त आया जब पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ज्योति बसु ने नोकिया के हैंडसेट से मोदी टेल्स्ट्रा की मोबाइलनेट सेवा के जरिए भारत का पहला मोबाइल कॉल किया. कोलकाता में बसु और नई दिल्ली के संचार भवन में केंद्रीय दूरसंचार मंत्री सुखराम के बीच इस कॉल की खबर प्रमुख अखबारों के पहले पन्ने पर थी. इस नई सेवा की कीमत बहुत ज्यादा थी- प्रीपेड सिम 4,900 रुपए और इनकमिंग या आउटगोइंग कॉल 17 रुपए प्रति मिनट. फिर भी इसने जो सनसनी पैदा की, वह ड्रॉइंग रूम की बातचीत मौजूं बनने को काफी थी.

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