पंचायती राज, 1992
भारत की राजनैतिक संरचना 1980 के दशक के अंत तक व्यवस्थागत चुनौतियों से जूझ रही थी. ग्रामीण उत्थान के नाम पर शुरू किए गए विकास कार्यक्रम अक्षमताओं, भ्रष्टाचार और नीति और जमीनी स्तर के बीच एक स्पष्ट अलगाव की वजह से लड़खड़ा रहे थे. निर्देशक सिद्धांतों के अनुच्छेद 40 में परिकल्पित पंचायती राज संस्थाएं (पीआरआइ) काफी हद तक प्रतीकात्मक संस्थाएं थीं. वे अनियमित चुनावों, अपर्याप्त वित्तीय शक्तियों और अभिजात वर्ग के कब्जे से बाधित थीं. शहरी परिदृश्य भी उससे बेहतर न था, जिसमें नगरपालिकाएं राज्य के हस्तक्षेप, वित्तीय दिवालियापन और तदर्थ शासन की वजह से कमजोर थीं.
क्या आप जानते हैं? पंचायती राज मंत्रालय ने पीआरआइ के निर्वाचित प्रतिनिधियों की खातिर नेतृत्व/प्रबंधन विकास कार्यक्रम आयोजित करने के लिए छह आइआइएम, आइआइटी धनबाद और आइआरएमए के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं. अब तक 38 महिलाओं समेत 193 प्रतिभागियों को प्रशिक्षण मिला
14 लाख पंचायती राज संस्थाओं के निर्वाचित सदस्यों के रूप में कार्यरत महिलाएं, कुल का 46 फीसद हिस्सा हैं
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin January 01, 2025 sayısından alınmıştır.
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लीक से हटकर
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खूबसूरत काया का जलवा
भारत की खूबसूरत बालाएं और वैश्विक सौंदर्य प्रतियोगिताएं, लगता है नब्बे के दशक से एक-दूसरे के लिए ही बनी हैं. और यह सिर्फ किस्मत की बात नहीं. खिताब जीतने वाली कई सुंदरियों ने बाद में इसके सहारे अपने करियर को बुलंदियों पर पहुंचाया
खरीदारी का मॉडर्न ठिकाना
शॉपिंग मॉल भारत में '90 के दशक की ऐसी अनूठी घटना है जिसने भारतीय मध्य वर्ग की खरीद के तौर-तरीकों को बदल दिया. 'खरीदारी के साथ-साथ मनोरंजन' केंद्र होने की वजह से वे अब कामयाब हैं. वहां हर किसी के लिए कुछ न कुछ है
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यूबी की किंगफिशर ने 1990 के दशक में बीयर को कूल बना दिया. तब से घरेलू अल्कोहल उद्योग के जोशीले दिन कभी थमे नहीं
डिस्को का देसी अंदाज
घर हो या कोई भी नुक्कड़-चौराहा, हर तरफ फिल्मी गानों की बादशाहत कायम थी. उसके अलावा जैसे कुछ सुनाई ही नहीं पड़ता था. तभी भारतीय ब्रिटिश गायकसंगीतकार बिट्टू ने हमें नाजिया से रू-ब-रू कराया, जिनकी आवाज ने भारतीयों को दीवाना बना दिया. सच में लोग डिस्को के दीवाने हो गए. इसके साथ एक पूरी शैली ने जन्म लिया
जिस लीग ने बनाई नई लीक
लगातार पड़ते छक्के, स्टैंड में बॉलीवुड सितारों और नामी कॉर्पोरेट हस्तियों और सत्ता- रसूखदारों की चकाचौंध, खूबसूरत बालाओं के दुमके - आइपीएल ने भद्रलोक के इस खेल को रेव पार्टी सरीखा बना डाला, जहां हर किसी की चांदी ही चांदी है
आनंद की विरासत
विश्वनाथन आनंद अचानक ही सामने आए और दुनिया फतह कर ली. गुकेश के साथ 2024 में भारत को मिली उपलब्धि उसी विरासत का हिस्सा है
जब स्वच्छता बन गया एक आंदोलन
सामूहिक शर्म से लेकर राष्ट्रीय गौरव तक, खुले में शौच का चलन खत्म करने के देश के सफर में मजबूत सियासी इच्छाशक्ति और नेतृत्व के साथ-साथ समुदाय, कॉर्पोरेट और सेलेब्रिटी के मिलकर काम करने की दास्तान शामिल
जब मौन बन गया उद्घोष
एक पनबिजली परियोजना के विरोध में पर्यावरणविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, कवियों और पत्रकारों ने मिलकर जन जागरुकता अभियान चलाया और भारत के अब बचीखुची उष्णकटिबंधीय वर्षावनों में से एक, केरल की साइलेंट वैली को बचाने में कामयाब रहे।
बताने को मजबूर हुए बाबू
जमीनी स्तर पर संघर्ष से जन्मे इस ऐतिहासिक कानून ने भारत में लाखों लोगों के हाथों में सूचना का हथियार थमाकर गवर्नेस को न सिर्फ बदल दिया, बल्कि अधिकारों की जवाबदेही भी तय करने में बड़ी भूमिका निभाई