इस साल लोकसभा चुनाव नतीजे काफी अप्रत्याशित रहे. भाजपा की सीटें 303 से फिसलकर 240 पर पहुंचने और मोदी सरकार का प्रभाव घटने से राजनैतिक विमर्श में एक संभावित बदलाव का संकेत मिला. ऐसे में विपक्ष की तरफ से हमले होना तो स्वाभाविक था लेकिन असली झटका भाजपा के वैचारिक गुरु राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की तरफ से आलोचनाओं ने दिया.
आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने एक के बाद एक कई टिप्पणियां कीं, जिन्हें लोगों ने भाजपा नेतृत्व, अभियान की रणनीतियों और यहां तक कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना माना. भागवत ने कई मोर्चों पर अपनी नाराजगी जाहिर की. उन्होंने कुछ भाजपा नेताओं की तरफ से इस्तेमाल विभाजनकारी बयानबाजी की निंदा की, अभियान का नैरेटिव पूरी तरह मोदी केंद्रित (मोदी की गारंटी) रखे जाने पर असहजता जताई, और आरएसएस से जुड़े संगठनों के फीडबैक पर ध्यान न दिए जाने की कड़ी आलोचना की. उन्होंने भाजपा के साथ वैचारिक समानता न रखने वालों को पार्टी में शामिल करने पर भी सवाल उठाए.
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin January 08, 2025 sayısından alınmıştır.
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