बैठक प्रारंभ हुई, पहले आडवाणीजी ने जनता पार्टी से उत्पन्न सभी बातें रखीं। उन्होंने कहा कि दोहरी सदस्यता के नाम जनता पार्टी के अन्य घटक हमें संघ के स्वयं सेवक नहीं रहने और उनके कार्यक्रमों के साथ-साथ संघ की सदस्यता छोड़ने की बात कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमने और अटलजी ने जनता पार्टी के नेताओं को बहुत समझाने की कोशिश की और कहा कि संघ में सदस्यता नहीं होती है संघ से हमारा वैचारिक संबंध है। लेकिन जनता पार्टी नेताओं और अन्य घटकों को यह बात समझ में नहीं आई। वहां उपस्थित सर्वश्री जगन्नाथ राव जोशी, भैरो सिंह शेखावत, सुंदर सिंह भंडारी, केदारनाथ साहनी, डॉ मुरली मनोहर जोशी, शांता कुमार, विजय कुमार मल्होत्रा, कुशाभाऊ ठाकरे, जे.पी. माथुर, कैलाशपति मिश्र, उत्तम राव पाटिल, विष्णुकांत शास्त्री, ओ. राजगोपाल, यज्ञदत्त शर्मा, मदनलाल खुराना, अश्विनी कुमार, केशुभाई पटेल, यदुरप्पा जी सहित देश के सौ सवा सौ से अधिक नेताओं ने एक साथ कहा कि हम सबसे पहले स्वयंसेवक हैं और संघ से हमारा नाता मरणोंपरांत भी नहीं छूट सकता, इसके लिए भले ही जनता पार्टी छोड़ना पड़े। अंत में सभी की भावना सुनकर अटलजी भाव विभोर हो गए और उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि हम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक हैं और सदैव रहेंगे। लेकिन अब जनता पार्टी के सदस्य नहीं रहेंगे। उपस्थित सभी नेताओं ने अटल जी की बात सुनकर तालियां बजाई और एक स्वर से कहा कि हमने जनसंघ राजनैतिक दल जनता पार्टी में मिलाया था, पर जनसंघ के कार्यकर्ता तो आज भी गांव-गांव में हैं। जनसंघ के कार्यकर्ताओं और संघ के सहयोग के कारण ही जनता पार्टी को देश में इतनी सीटें सन 1977 में आपातकाल खत्म होने के बाद मिली। बैठक में एक समिति सुंदर सिंह भंडारी की अध्यक्षता में बनाई गई, और इस समिति को नया दल, नया चुनाव चिन्ह और नया संविधान बनाने का कार्य सौंपा गया।
Bu hikaye Open Eye News dergisinin April 2024 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Giriş Yap
Bu hikaye Open Eye News dergisinin April 2024 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Giriş Yap
बुलडोजर कार्रवाई में अहम है 'सुप्रीम' आदेश
भारतीय राजनीति का स्वरूप अब बदल चुका है।
औद्योगिक क्षेत्र से श्रमिकों का कृषि की ओर बढ़ता रुझान
शहरों में जाकर काम करने वाले भारत के लोग बड़ी संख्या में अपने गांवों की ओर लौट रहे हैं।
रोजगार और निवेश से संपन्न, समृद्ध, स्वावलंबी बनता मध्यप्रदेश
मध्यप्रदेश को सम्पन्न, समृद्ध, स्वावलंबी और सक्षम राज्य बनाने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जोर शोर से जुटे हुए हैं।
मुफ्त की रेवड़ियों ने सरकारों की कर दी वापसी
देश के मतदाता लगता है, मुफ्त की रेवड़ियों के लालच में मतदान करने लगे हैं। इसी का परिणाम है कि महाराष्ट्र और झारखंड में सत्ताएं बरकरार रही हैं।
आखिर अडानी के पीछे हाथ धोकर क्यों पड़े हुए हैं अमेरिकी ?
बता दें कि यूनाइटेड स्टेट्स अटॉर्नी ऑफिस ने अदाणी पर भारत में सोलर एनर्जी से जुड़ा कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को 265 मिलियन डॉलर (2200 करोड़ रुपए से ज्यादा) की रिश्वत देने का आरोप लगाया है,जो एक गम्भीर बात है।
झारखंड में अमित शाह के ऐलान के मायने
1981 के जनगणना में आदिवासियों की आबादी में मामूली बढ़त देखी गई।
चुनाव आयोग को सजग सतर्क रहने की जरूरत
चुनाव प्रचार के दौरान भाषाई स्तर, नेताओं की भंगिमा और राजनीतिक जुमलों के प्रयोग ने मतदाताओं में चिन्ता पैदा की है।
फुड सेफ्टी डिसप्ले बोर्ड संबंधी दिशा निर्देशों का स्पष्ट उल्लंघन
खाद्य अधिकारी मानते हैं कि ये एक्ट नहीं है
20 लिटर जार में बिकने वाला पानी अमानक
पूरे देश में हट रोज 20 लिटर के जार में पेयजल खुले तौर पर बेचा जा रहा है जिसे आर.ओ. वॉटर के रूप में बेचा जाता है।
डबल इंजन की सरकार में तेज रफ्तार से चल रही है छत्तीसगढ़ में विकास की रेल-मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने कहा है कि डबल इंजन की सरकार में छत्तीसगढ़ में अब तेज रफ्तार से विकास की रेल चल रही है।