
अगला कदम क्या होगा? क्या राज्य सरकार नतीजों के मुताबिक नीतियां बनाएगी? इन आंकड़ों का सरकार क्या करने जा रही है?
सबसे पहले जानना होगा कि ऐतिहासिक नाइंसाफी हो गई थी, 1931 के बाद देश में जाति जनगणना नहीं हुई। जाति जनगणना की कोशिश शुरू हुई थी लालू जी के समय से। इधर नीतीश जी और तेजस्वी जी की तमाम कोशिश के बावजूद इसमें कई तरह की रुकावट डाली गईं। विधानसभा में प्रस्ताव पास करने, सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के साथ प्रधानमंत्री से मिलने के बाद भी आखिर तक रुकावटें जारी रहीं। आखिर में सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट जनरल तुषार मेहता खुद खड़े हो गए और 28 अगस्त को दो हलफनामे दिए। पहले हलफनामे में कहा कि किसी भी राज्य सरकार को जनगणना या ऐसी कोई भी कवायद करने का अधिकार ही नहीं है। बवेला मचा तो दूसरा हलफनामा उसी दिन शाम चार-पांच बजे आया कि पहले हलफनामे में पांचवा पैराग्राफ गलती से डल गया था। मैं यह पृष्ठभूमि इसलिए बता रहा हूं कि तमाम रोड ब्लॉक के बावजूद यह संभव हुआ। जब यह आंकड़े सार्वजनिक जीवन में आ जाते हैं तो इन आंकड़ों की ओर से कोई नहीं बोलेगा, ये आंकड़े खुद बोलेंगे। हिस्सेदारी और भागीदारी तय करने के लिए ये आंकड़े आए हैं। ये आंकड़े अपनी अवस्थिति देखेंगे और उसके आलोक में समकालीन सरकारों से क्या मांग की जानी चाहिए, वह हुआ करेगी। मैं समझता हूं कि एक तरह की सिनर्जी आंकड़ों और सरकार के बीच होगी। इस सिनर्जी के बाद पूरे देश में भी यह उभार हो रहा है कि इस तरह का जातिगत सर्वेक्षण या जनगणना अखिल भारतीय स्तर पर हो, ताकि लोगों की लंबित मांगों का निबटारा हो सके और विकास चेहरों के साथ, इन समुदायों की भागीदारी के साथ हो।
Bu hikaye Outlook Hindi dergisinin October 30, 2023 sayısından alınmıştır.
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अलीगढ़
ताले तो अलीगढ़ के - गंगा किनारे वाले छोरे की बंद अकल का ताला भले ही बनारसी पान से खुल जाता होगा लेकिन वह ताला निश्चित रूप से बना इसी शहर में होगा। उत्तर प्रदेश के छोटे से शहर की यही पहचान है।

'संगठित अपराध पर सुस्त सरकार'
साइबर अपराध अब महज तकनीकी चुनौती नहीं, बल्कि संगठित अपराध का रूप ले चुका है। हर दिन हजारों लोग ऑनलाइन ठगी, डेटा चोरी और डिजिटल ब्लैकमेलिंग के शिकार हो रहे हैं। समय के साथ ठगी के तरीकों में भी बदलाव आ रहा है। अपराधी हर नए ट्रेंड का इस्तेमाल कर रहे हैं। इस विषय पर आउटलुक के राजीव नयन चतुर्वेदी ने साइबर क्राइम एक्सपर्ट और राजस्थान पुलिस के साइबर सेल सलाहकार मुकेश चौधरी से बातचीत की। अंश:

अश्लील बोल के बहाने
यूट्यूबर रणवीर इलाहाबादिया की आपत्तिजनक बोली पर उठे शोर-शराबे के क्या मायने

महत्वाकांक्षी दौरे का हासिल
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ईमान और पहचान भी छिनी
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जींद की 'रेखा'
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डिजिटल माफिया साया
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अस्थाई अदालतें तो कोई हल नहीं
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भारतीय रेल पर फिर सवाल
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