अयोध्या में 22 जनवरी को देश ही नहीं, विश्व इतिहास में नया अध्याय लिखा गया है। 500 वर्षों के संघर्ष और लगभग सौ साल की लंबी मुकदमेबाजी के बाद अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन हुआ। राम भारत की आध्यात्मिकता के पूज्य पुरुष हैं। विश्व भर में भारत की संस्कृति राम के नाम से ही गई। बहुत से देशों में भारतीय संस्कृति को लोग राम के नाम से पहचानते हैं। इंडोनेशिया, कंबोडिया जैसे देशों में रामलीलाएं होती हैं। थाईलैंड में हर राजा के नाम के आगे राम लिखा जाता है। वहां अयोध्या के नाम का एक नगर बसा है। मुझे थाईलैंड में यह सब कुछ देखने का सौभाग्य मिला था।
इतिहास की इस घटना में हिमाचल के पालमपुर का नाम भी अमर हो गया है। आज से 34 वर्ष पहले 9 से 11 जून 1989 को पालमपुर के रोटरी भवन में ही भारतीय जनता पार्टी की कार्यसमिति में राम मंदिर का ऐतिहासिक प्रस्ताव पास हुआ था। मेरा सौभाग्य है कि मैं उस समय हिमाचल भाजपा का अध्यक्ष था। उससे पहले दिल्ली में एक बैठक हुई थी। उस समय हिमाचल प्रदेश के प्रभारी कृष्ण लाल शर्मा जी ने मुझसे कहा कि कार्यसमिति की 9-11 जून को ऐतिहासिक बैठक होगी और वे चाहते हैं कि वह बैठक देवभूमि हिमाचल के पालमपुर में हो। मैं यह सुनकर प्रसन्न तो हुआ लेकिन हैरान और चिंतित भी हो गया। छोटे-से हिमाचल का छोटा-सा पालमपुर और भारतीय जनता पार्टी की कार्यसमिति की बैठक ! इतने नेताओं को कहां ठहराएंगे। तब हवाई सेवा भी नहीं थी। पठानकोट रेलवे स्टेशन से सब नेताओं को लेकर पालमपुर आना होगा। तीन दिन की इस बैठक के लिए लाखों रुपये की व्यवस्था कैसे होगी। सारी बातें एकदम मेरे मन में घूम गईं। थोड़ी देर मैं चुप रहा। शर्मा जी ने फिर पूछा तो मैंने कहा, बहुत कठिन है लेकिन प्रभु राम का नाम लेकर आपके इस आग्रह को स्वीकार करता हूं।
Bu hikaye Outlook Hindi dergisinin February 19, 2024 sayısından alınmıştır.
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