राजनीति जिस मोड़ से गुजरी है, खासकर उत्तर प्रदेश में, उसके बाद कई प्रश्न विचार के इंतजार में पंक्ति बनाकर खड़े हो गए हैं। इनमें से कई महामारी के शून्य में डूब गए थे। इतना गहरे कि फिर सतह पर नहीं आ सके। ऐसा ही एक प्रश्न था हिंदी में जगह पहले भी कम थी, इधर के राजनैतिक दौर में और घट गई। बहस का चलन एकाएक कमजोर पड़ गया। जरूर इसमें टेक्नोलॉजी का भी योगदान है। इंटरनेट से मिली सुविधाओं ने एक नए समाज को जन्म दिया, जो खुद को सोशल मीडिया कहता है और विचार-विमर्श का प्रतिनिधि माध्यम मानता है। अगर आप उसके प्रतिभागी नहीं हैं, तो वह आपको हाशियावासी मानने में संकोच नहीं करता। इस तर्क से कोई फर्क नहीं पड़ता कि हाशिये पर हिंदी समाज के लाखों, करोड़ों लोग रहते हैं, जो कभी अखबारों और पत्रिकाओं की बहस के करीब आने लगे थे, अब दूर छिटक गए हैं।
Bu hikaye Outlook Hindi dergisinin July 22, 2024 sayısından alınmıştır.
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हमेशा गूंजेगी आवाज
लोककला के एक मजबूत स्तंभ का अवसान, अपनी आवाज में जिंदा रहेंगी शारदा
क्या है अमिताभ फिनामिना
एक फ्रांसिसी फिल्मकार की डॉक्यूमेंट्री बच्चन की सितारा बनने के सफर और उनके प्रति दीवानगी का खोलती है राज
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भारतीय महिला हॉकी की स्टार रानी रामपाल की 28 नंबर की जर्सी को हॉकी इंडिया ने सम्मान के तौर पर रिटायर कर दिया। अब वे गुरु की टोपी पहनने को तैयार हैं। 16 साल तक मैदान पर भारतीय हॉकी के उतार-चढ़ाव को करीब से देखने वाली 'हॉकी की रानी' अपने संन्यास की घोषणा के बाद अगली चुनौती को लेकर उत्सुक हैं।
सस्ती जान पर भारी पराली
पराली पर कसे फंदे, खाद न मिलने और लागत बेहिसाब बढ़ने से हरियाणा-पंजाब में किसान अपनी जान लेने पर मजबूर, हुक्मरान बेफिक्र, दोबारा दिल्ली कूच की तैयारी
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महान बनाने की कीमत
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ट्रम्प के चुनाव ने महिला अधिकारों पर पश्चिम की दावेदारी का खोखलापन उजागर कर दिया
जलवायु नीतियों का भविष्य
राष्ट्रपति के चुनाव में डोनाल्ड ट्रम्प की जीत रिपब्लिकन पार्टी के समर्थकों के लिए जश्न का कारण हो सकती है लेकिन पर्यावरण पर काम करने वाले लोग इससे चिंतित हैं।
दोस्ती बनी रहे, धंधा भी
ट्रम्प अपने विदेश, रक्षा, वाणिज्य, न्याय, सुरक्षा का जिम्मा किसे सौंपते हैं, भारत के लिए यह अहम