लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाला सत्ताधारी महायुति गठबंधन खुद को फंसा हुआ पा रहा है। इसमें दरार उभरना शुरू हो चुकी है। शिव सेना से टूटे एकनाथ शिंदे और राष्ट्रवादी कांग्रेस से टूटे अजित पवार, दोनों के साथ एक के बाद एक गठबंधन कर भाजपा ने महाराष्ट्र की परंपरावादी जनता के बीच छवि बिगाड़ ली है। यही वजह रही कि कुल 48 संसदीय सीटों में से इन तीनों को मिलाकर मात्र 17 सीटें मिलीं। महायुति के इस नुकसान को महाविकास अघाड़ी ने लाभ में बदल लिया। यह इसलिए अहम है क्योंकि विधानसभा चुनाव में अब तीन महीने से भी कम का वक्त बचा है।
दोनों गठबंधनों के घटक उसमें बने रहने या अलग हो जाने के विकल्प पर मंथन कर रहे हैं। सभी बेहतर दांव खेलना चाहते हैं ताकि सत्ता में भागीदारी कायम रह सके। कुल 288 विधानसभा सीटों पर इन दो गठबंधनों के छह घटक दलों के अलावा वंचित बहुजन पार्टी और निर्दलियों की भी दावेदारी है। महाविकास अघाड़ी के नेताओं ने तय किया है कि वे गठबंधन को कायम रखेंगे और मिलकर चुनाव लड़ेंगे। दिक्कत महायुति के साथ है, जिसके घटकों के बीच आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो चुका है।
Bu hikaye Outlook Hindi dergisinin July 22, 2024 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Giriş Yap
Bu hikaye Outlook Hindi dergisinin July 22, 2024 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Giriş Yap
शहरनामा गंगा सागर
अंतहीन सागर की कालातीत कहानी
परदे का पुराना प्यार
पुरानी फिल्में सिनेमाघरों में दोबारा दस्तक दे रहीं, नई फिल्मों की नाकामी, व्यावसायिक मुनाफा और पुराने के प्रति दीवानगी ट्रेंड को बढ़ा रही
गरीबों के नायक की सुध
तीन बार के राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता मिठुन चक्रवर्ती को दादा साहब फाल्के सम्मान
'जब तक रहूं, नृत्य के साथ रहूं'
करीब छह दशकों से नृत्य कर रहीं शोभना नारायण अभी थकी नहीं हैं। 75 वर्ष की उम्र में भी उनमें उत्साह और जोश-खरोश भरपूर है । बिरजू महाराज की शिष्या शोभना नृत्यांगना ही नहीं, वरिष्ठ नौकरशाह और लेखिका भी हैं। बिहार के एक स्वतंत्रता सेनानी परिवार में जन्मी शोभना को संस्कृति और कला से लगाव तथा राष्ट्रीय जीवन-मूल्य विरासत में मिले हैं। वे ऐसे परिवार से हैं जहां दिनकर, धर्मवीर भारती, रमानाथ अवस्थी जैसे साहित्यकारों की मंडली घर पर जमती थी। मां ललिता नारायण लोकसभा का चुनाव पटना से लड़ी थीं। उनका जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी से निजी परिचय था। शोभना नारायण के 75वें जन्मदिन पर पिछले दिनों उनके शिष्यों ने नृत्यसमारोह का आयोजन किया। इस मौके पर उनसे विमल कुमार ने खास बातचीत की। संपादित अंशः
वापस पंत नायक
चोटिल खिलाड़ी के लिए फिर मैदान पर शानदार प्रदर्शन करना सबसे बड़ी चुनौती होती है, पंत इस करिश्मे में सफल रहे
पन्ना की तमन्ना हीरा मिल जाए
पन्ना में छोटे-छोटे भूखंडों में मिल रहा हीरे का एक टुकड़ा बदल रहा गरीब आदिवासी किसानों की जिंदगी
अबूझमाड़ में मुठभेड़
यह पहला मौका है जब पुलिसिया दावे के मुताबिक एक ऑपरेशन में इतनी बड़ी संख्या में माओवादी मारे गए
कुर्सी कलाबाजी की मिसाल
पंजाब से टूट कर अलग राज्य बनने के वक्त से ही हरियाणा में कुर्सी के लिए आया गया की दलबदलू राजनीति चल रही
चंपाई महत्वाकांक्षा
कुर्सी जाने पर पाला बदलने और अपने लोगों के खिलाफ खड़े होने का आदिवासी प्रसंग
कुर्सी महा ठगिनी हम जानी
आर्थिक उदारीकरण के पिछले तीन दशक के दौरान भारतीय राजनीति का चरित्र कुछ ऐसा बदला है। कि धन, सार्वजनिक आचरण से लेकर नेताओं का चरित्र तक सब कुछ महज कुर्सी के इर्द-गिर्द सिमट गया है और दलों का फर्क मिट गया है