कहते हैं, आपको एक्टिंग में ब्रेक एक इत्तेफाक से मिला?
सही है। गैंग्स ऑफ वासेपुर में मैंने जो पुलिसवाले का रोल किया था, असल में मुझे वह रोल नहीं करना था। उस रोल के लिए जिस एक्टर को चुना गया था, वह शूटिंग के दिन काम पर नहीं आया। मेरी एक छोटी सी प्रोडक्शन कंपनी थी और मैं उसमें छोटे-मोटे कंटेंट लिखता था। उस दिन अनुराग कश्यप ने कहा कि तुम यह रोल करोगे? मैंने जो कपड़े पहने थे, वह भी उसी एक्टर के लिए बने थे। जब मैंने उन्हें पहना तो वह फट गया। एक्टिंग में वह मेरा पहला कदम था। बाद में मैंने फ्रॉड सैयां और डिक्लेरेशन जैसी कुछ फिल्मों में काम किया। उसके बाद मुझे पंचायत मिली।
आपने बताया कि आप छोटा प्रोडक्शन हाउस चलाते थे। आज आपको बहुत शोहरत मिल गई है। क्या आप अभी भी उसमें कुछ बड़ा करने के बारे में सोचते हैं या अब बस एक्टिंग ही करना है?
हमने मेहनत करके प्रोडक्शन सीखा है। इसे कैसे छोड़ा जा सकता है? मैं इस पर काम कर रहा हूं और कई डायरेक्टर से मिल रहा हूं। आगे जरूर कुछ बड़ा होगा।
Bu hikaye Outlook Hindi dergisinin September 30, 2024 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Giriş Yap
Bu hikaye Outlook Hindi dergisinin September 30, 2024 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Giriş Yap
हिंदी सिनेमा में बलात्कार की संस्कृति
बलात्कार की संस्कृति को हिंदी फिल्मों ने लगातार वैधता दी है और उसे प्रचारित किया है
कहानी सूरमाओं की
पेरिस में भारत के शानदार प्रदर्शन से दिव्यांग एथलीटों की एक पूरी पीढ़ी को आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली
शेखपुर गुढ़ा की फूलन देवियां
शेखपुर गुढ़ा और बेहमई महज पचास किलोमीटर दूर स्थित दो गांव नहीं हैं, बल्कि चार दशक पहले फूलन देवी के साथ हुए अन्याय के दो अलहदा अफसाने हैं
महाशक्तियों के खेल में बांग्लादेश
बांग्लादेश का घटनाक्रम दक्षिण एशिया के भीतर शक्ति संतुलन और उसमें अमेरिका की भूमिका के संदर्भ में देखे जाने की जरूरत
तलछट से उभरे सितारे
फिल्मों में मामूली भूमिका पाने के लिए वर्षों कास्टिंग डायरेक्टरों के दफ्तरों के चक्कर लगाने वाले अभिनेता आजकल मुंबई में पहचाने नाम बन गए हैं, उन्हें न सिर्फ फिल्में मिल रही हैं बल्कि छोटी और दमदार भूमिकाओं से उन्होंने अपना अलग दर्शक वर्ग भी बना लिया
"संघर्ष के दिन ज्यादा रचनात्मक थे"
फिल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर के लगभग सभी कलाकार आज बड़े नाम हो चुके हैं, लेकिन उसके जरिये एक्टिंग की दुनिया में कदम रखने वाले फैसल मलिक के लिए संघर्ष के दिन कुछ और साल तक जारी रहे। बॉलीवुड में करीब 22 साल गुजारने वाले फैसल से राजीव नयन चतुर्वेदी की खास बातचीत के संपादित अंश:
ग्लोबल मंच के लोकल सितारे
सिंगल स्क्रीन सिनेमाहॉल का दौर खत्म होने और मल्टीप्लेक्स आने के संक्रमण काल में किसी ने भी गांव-कस्बे में रह रहे लोगों के मनोरंजन के बारे में नहीं सोचा, ओटीटी का दौर आया तो उसने स्टारडम से लेकर दर्शक संख्या तक सारे पैमाने तोड़ डाले
बलात्कार के तमाशबीन
उज्जैन में सरेराह दिनदहाड़े हुए बलात्कार पर लोगों का चुप रहना, उसे शूट कर के प्रसारित करना गंभीर सामाजिक बीमारी की ओर इशारा
कांग्रेस की चुनौती खेमेबाजी
पार्टी चुनाव दोतरफा होने के आसार से उत्साहित, बाकी सभी वजूद बचाने में मशगूल
भगवा कुनबे में बगावत
दस साल की एंटी-इन्कंबेंसी और परिवारवाद, जातिवाद, क्षेत्रवाद जैसे समीकरण साधने के चक्कर में सत्तारूढ़ भाजपा कलह के चक्रव्यूह में फंसी