यह महज संयोग हो सकता है या साल 2024 कुछ खास है कि हर जगह एक-से मुद्दे उमड़-घुमड़ रहे हैं और ‘अभी नहीं तो कभी नहीं’ का एक-सा हल्लाबोल चल रहा है। हर चुनाव इतने चौंकाऊ नतीजे लेकर हाजिर हो रहा है कि न जीतने वाले को यकीन हो पा रहा है, न हारने वाले को। हर ओर सियासी वजूद कायम रखने का गंभीर संकट खड़ा हो गया है, वरना भला कुछेक उपचुनाव के लिए आम चुनाव जैसी हायतौबा और कोलाहल क्यों मचता। वजह शायद छह महीने पहले हुए लोकसभा से उठी लहर है जिसने सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों में बेचैनी भर दी है। यह पिछले महीने हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के चुनावों में भी दिखा, और अब महाराष्ट्र और झारखंड के विधानसभा चुनावों में चरम पर है।
दोनों राज्यों में केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उसके एनडीए के सहयोगियों का कड़ा मुकाबला इंडिया ब्लॉक के क्षेत्रीय दलों से है क्योंकि हरियाणा में कांग्रेस को पटकनी देकर मानो भाजपा अपना हिसाब बराबर कर चुकी है। महाराष्ट्र में बालासाहेब ठाकरे की बनाई शिवसेना (जिसके अगुआ अब उनके बेटे उद्घव हैं) और शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) है। झारखंड में दिशोम गुरु कहे जाने वाले शिबू सोरेन की बनाई झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) है, जिसके अगुआ अब उनके बेटे हेमंत सोरेन हैं। हर जगह की तरह भाजपा उन्हें जोड़तोड़ और कथित तौर पर केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग के जरिये कमजोर करने का कोई अवसर छोड़ती नहीं है। कम से कम झारखंड में तो यह सिलसिला आज भी जारी है। अभी ताजा-ताजा हेमंत सोरेन के चुनाव प्रस्तावक मंडल मुर्मू को भाजपा में शामिल कर लिया गया, जो उलगुलान के नायक सिदु-कानू से संबंधित हैं। महाराष्ट्र में तो शिवसेना और राकांपा के न सिर्फ अधिकांश विधायकों को तोड़ा गया, बल्कि ठाकरे और शरद पवार से उनकी पार्टियों का मूल नाम और चुनाव चिन्ह भी दूर कर दिया गया। इसलिए इन दोनों ही राज्यों में इन क्षेत्रीय दलों के सामने अपने सियासी वजूद और अपनी पहचान तथा स्थानीयता की राजनीति को बरकरार रखने की जद्दोजहद है (देखें, महाराष्ट्र और झारखंड की स्टोरी)।
Bu hikaye Outlook Hindi dergisinin November 25, 2024 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Giriş Yap
Bu hikaye Outlook Hindi dergisinin November 25, 2024 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Giriş Yap
गांधी पर आरोपों के बहाने
गांधी की हत्या के 76 साल बाद भी जिस तरह उन पर गोली दागने का जुनून जारी है, उस वक्त में इस किताब की बहुत जरूरत है। कुछ लोगों के लिए गांधी कितने असहनीय हैं कि वे उनकी तस्वीर पर ही गोली दागते रहते हैं?
जिंदगी संजोने की अकथ कथा
पायल कपाड़िया की फिल्म ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट परदे पर नुमाया एक संवेदनशील कविता
अश्विन की 'कैरम' बॉल
लगन और मेहनत से महान बना खिलाड़ी, जो भारतीय क्रिकेट में अलग मुकाम बनाने में सफल हुआ
जिसने प्रतिभाओं के बैराज खोल दिए
बेनेगल ने अंकुर के साथ समानांतर सिनेमा और शबाना, स्मिता पाटील, नसीरुद्दीन शाह, ओम पुरी, गिरीश कार्नाड, कुलभूषण खरबंदा और अनंतनाग जैसे कलाकारों और गोविंद निहलाणी जैसे फिल्मकारों की आमद हिंदी सिनेमा की परिभाषा और दुनिया ही बदल दी
सुविधा पचीसी
नई सदी के पहले 25 बरस में 25 नई चीजें, जिन्होंने हमारी रोजमर्रा की जिंदगी पूरी तरह से बदल डाली
पहली चौथाई के अंधेरे
सांस्कृतिक रूप से ठहरे रूप से ठहरे हुए भारतीय समाज को ढाई दशक में राजनीति और पूंजी ने कैसे बदल डाला
लोकतंत्र में घटता लोक
कल्याणकारी राज्य के अधिकार केंद्रित राजनीति से होते हुए अब डिलिवरी या लाभार्थी राजनीति तक ढाई दशक का सियासी सफर
नई लीक के सूत्रधार
इतिहास मेरे काम का मूल्यांकन उदारता से करेगा। बतौर प्रधानमंत्री अपनी आखिरी सालाना प्रेस कॉन्फ्रेंस (3 जनवरी, 2014) में मनमोहन सिंह का वह एकदम शांत-सा जवाब बेहद मुखर था।
दो न्यायिक खानदानों की नजीर
खन्ना और चंद्रचूड़ खानदान के विरोधाभासी योगदान से फिसलनों और प्रतिबद्धताओं का अंदाजा
एमएसपी के लिए मौत से जंग
किसान नेता दल्लेवाल का आमरण अनशन जारी लेकिन केंद्र सरकार पर असर नहीं