आध्यात्म और संस्कृति का अनोखा संगम

कुंभ का भव्य और सुंदर आयोजन अपने अंतिम चरण में है। 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के स्नान के साथ ही महाकुंभ 2025 का समापन हो जाएगा। आध्यात्मिक और सांस्कृतिक अनुभवों के साथ यह कुंभ एक अभिनेत्री के महामंडलेश्वर बनने और फिर पद छिनने, एक आइआइटी ग्रेजुएट युवा के बाबा बनने और सोशल मीडिया पर माला बेचने वाली नीली आंखों वाली एक लड़की जैसे तमाशों के लिए भी याद किया जाएगा। हाइवे पर लंबी कतारों, श्रद्धालुओं से पटी पड़ी गलियों, मौनी अमावस्या की भगदड़ के बीच भी श्रद्धालुओं का उत्साह कम होने का नाम नहीं ले रहा। महाकुंभ से भारतीयों के लगाव को समझा जा सकता है कि हमारी परंपरा और पौराणिक कथाओं में कुंभ से अमृत छलकने की कहानियां और इस मेले की प्राचीनता का महत्व समाया हुआ है। लेकिन जिस तादाद में विदेश से लोग इस अनोखे मेले को देखने आए, वह अविश्वसनीय है। ऐसे महामेले को देखने हर बार की तरह विदेशों से ढेरों पर्यटक भी पहुंचे। उम्र से परे, हर आयुवर्ग ने कुंभ में शामिल होकर संगम में डुबकी लगाई और खुद को मोक्ष की परंपरा से जोड़ा।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुले हृदय से विश्व भर के श्रद्धालुओं का स्वागत किया। सरकार के आंकड़ों के अनुसार, तकरीबन 40 करोड़ लोगों के प्रयाग में पहुंचने का अनुमान है। सरकार ने, उसके दावे के मुताबिक, चाक-चौबंद व्यवस्था, स्नान के लिए घाट, ठहरने के लिए बनी कुंभ टेंट सिटी ने श्रद्धालुओं की सहूलियत का ख्याल रखा। 40 करोड़ लोगों का कुंभ में आना और स्नान करना बताता है कि मनुष्य का आस्था से गहरा संबंध है और जब मौका आता है, श्रद्धालु अनुशासित रहकर इस बात को पुख्ता करते हैं। महाकुंभ ने बताया कि पवित्र गंगा नदी के लिए सब एक हैं फिर चाहे वह राजा हो या रंक । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने साधारण लोगों की तरह त्रिवेणी संगम में स्नान किया। यह भारत का सांस्कृतिक सौंदर्य है, जो कुंभ के जरिये पूरी दुनिया ने देखा। भारत आस्था का देश है, इस मेले ने यह स्पष्ट संदेश जन-जन तक पहुंचाया।
Bu hikaye Outlook Hindi dergisinin March 03, 2025 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Giriş Yap
Bu hikaye Outlook Hindi dergisinin March 03, 2025 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Giriş Yap

बच्चों के पालन-पोषण का सवाल
धारावाहिक अडॉलेसेंस ने नई आर्थिकी और इंटरनेट तथा सोशल मीडिया से बालमन में पैदा होने वाली विकृति पर ध्यान खींचा

अंधेरे जीवन की विडंबना
रेलवे स्टेशन पर जीवन यापन करने वाले भिखारियों के जीवन पर आधारित इस उपन्यास का मुख्य पात्र एक अंधा व्यक्ति है। यहां अंधे बच्चे के अंधे होने की विडंबना का विवरण है, अंधेरे का रोशनी से संघर्ष है। अंधे बच्चे का यह पूछना है कि सूरज क्या होता है और अंत में यह पहचानने लगना कि कौन से पक्षी के उड़ने की आवाज कैसी होती है।

बदलती भूराजनीति में भारत
भारत को अमेरिका के साथ हो रहे नुकसान को कम करते हुए चीन से सौदेबाजी की राह अपनानी चाहिए

आखिर प्रत्यर्पण
सत्रह साल बाद मुंबई हमले के षडयंत्रकारियों में एक राणा को भारत लाया गया, क्या सुलझेगी सबसे बड़े आतंकी हमले की गुत्थी

शहरनामा - गोंडा
बड़े दिल का छोटा शहर

द्विराष्ट्र सिद्धांत का अंतर
ट्रम्प और नेतन्याहू की मुलाकात से नहीं निकली कोई उम्मीद

खिलाड़ी नहीं, ब्रांड कहिए हुजूर!
खेल मैदान तक सीमित नहीं रहा, अब ब्रांडों की स्पॉन्सरशिप और सोशल मीडिया से भी आगे पैसा उगाने की फटाफट मशीन बन चुकी है

टर्म इंश्योरेंस का फंडा
बीमा अवधि से ज्यादा जीते हैं तो क्या होगा? क्या आप अपनी रकम गंवा बैठेंगे या आपके पास विकल्प हैं?

आईन ऊपर या कोई और
सुप्रीम कोर्ट के हालिया कुछ फैसलों और अंतरिम आदेशों पर उठे विवाद से संवैधानिक लोकतंत्र की पहली बार हदें टूटीं

गिरीश का स्वतंत्र आकाश
सर्वप्रथम बेंद्रे की कविता से चुने गए, संस्मरणों की इस अनुपम कृति में समाए सारगर्भित-विस्मयों की छाप ही पाठक को चमत्कृत करती है।