पूजा सेवाएं, कैरियर, नौकरी, लव मैरिज, दूसरी जाति में विवाह, शादी में रुकावट, पतिपत्नी में अनबन, मांगलिक दोष, काल सर्प दोष, संतान दोष, श्रापित दोष, तिल दोष, मनचाहा जीवन साथी, शीघ्र धन प्राप्ति के लिए कुबेर की पूजा, पूर्णिमा को सामूहिक ब्राह्मण भोज आदि के लिए पुजारी, ज्योतिषी से औनलाइन संपर्क करें और घरबैठे ही पूजा का लाभ उठाएं.
कोरोनाकाल में धार्मिक क्लासेस, बच्चों की पढ़ाई, शादीविवाह, डाक्टर्स की सलाह से ले कर पूजापाठ भी औनलाइन हो गया. पूजा और दान जैसे महत्त्वपूर्ण धार्मिक कार्य, जैसे मन्नत पूरी करनी हो, घर में सत्यनारायण की कथा करवानी हो, हवन या अन्य कोई भी धार्मिक अनुष्ठान करवाना हो, कोरोना के खतरे में पुजारी को अपने घर बुलाने की कोई जरूरत नहीं, बस सर्च कीजिए आप को हजारों पुजारियों के नंबर मिल जाएंगे. कौल कर आप अपनी समस्याएं बताएं और वे समाधान बताएंगे. वे वीडियोकौलिंग के जरिए घर बैठे ही पूजा भी करवा देंगे और फिर तय रेट के अनुसार दानदक्षिणा आप उन के अकाउंट में औनलाइन, पेटीएम या नैट बैंकिंग द्वारा दे सकते हैं. यहां जैसी पूजा वैसा रेट तय है. आप औनलाइन पर्सनल पूजा के लिए भी आवेदन कर सकते हैं. लेकिन उस का रेट थोड़ा ज्यादा होगा.
क्या है औनलाइन पूजा सेवाएं
औनलाइन पूजा सेवाओं के माध्यम से आप घर बैठे बस एक क्लिक पर देश के किसी भी कोने से प्रतिष्ठित मंदिरों में पूजन आयोजित करवा सकते हैं. विद्वान पंडित वैदिक अनुष्ठान के अनुसार पूजन कर के आप को देवता का दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करने व आप की इच्छाओं को पूर्ण करने में मदद करेंगे. वैसे भी आज कई ऐसी वैबसाइट खुल गई हैं जहां आप पूजा के लिए संपर्क कर सकते हैं.
पुजारी हुए हाईटैक
पूजा और दान जैसे महत्त्वपूर्ण धार्मिक कार्य भी अब दुनियाभर में डिजिटलीकरण, विशेष रूप से भारत में होने से पूजापाठ भी औनलाइन होने लगा है. पूजा हजारों प्रकार की होती है. हिंदू धर्म में हर साल अनगिनत व्रतत्योहार होते हैं. ऐसे में कोरोना के डर व लौकडाउन ने परंपराओं को बदलने पर मजबूर कर दिया. संक्रमण न फैले, इस के लिए पंडेपुजारी घर बैठे ही सारे धार्मिक अनुष्ठान वीडियोकौलिंग के जरिए करवाने लगे हैं.
भगवान भी हुए हाईटैक
Bu hikaye Sarita dergisinin August II 2022 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Giriş Yap
Bu hikaye Sarita dergisinin August II 2022 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Giriş Yap
बौलीवुड और कौर्पोरेट का गठजोड़ बरबादी की ओर
क्या बिना सिनेमाई समझ से सिनेमा से मुनाफा कमाया जा सकता है? कौर्पोरेट जगत की फिल्म इंडस्ट्री में बढ़ती हिस्सेदारी ने इस सवाल को हवा दी है. सिनेमा पर बढ़ते कौर्पोरेटाइजेशन ने सिनेमा पर कैसा असर छोड़ा है, जानें.
यूट्यूबिया पकवान मांगे डाटा
कुछ नया बनाने के चक्कर में मिसेज यूट्यूब छान मारती हैं और इधर हम 'आजा वे माही तेरा रास्ता उड़ीक दियां...' गाना गाते रसोई की ओर टकटकी लगाए इंतजार में बैठे हैं कि शायद अब कुछ खाने को मिल जाए.
पेरैंटल बर्नआउट इमोशनल कंडीशन
परफैक्ट पेरैंटिंग का दबाव बढ़ता जा रहा है. बच्चों को औलराउंडर बनाने के चक्कर में मातापिता आज पेरैंटल बर्न आउट का शिकार हो रहे हैं.
एक्सरसाइज करते समय घबराहट
ऐक्सरसाइज करते समय घबराहट महसूस होना शारीरिक और मानसिक कारणों से हो सकता है. यह अकसर अत्यधिक दिल की धड़कन, सांस की कमी या शरीर की प्रतिक्रिया में असंतुलन के कारण होता है. मानसिक रूप से चिंता या ओवरथिंकिंग इसे और बढ़ा सकती है.
जब फ्रैंड अंधविश्वासी हो
अंधविश्वास और दोस्ती, क्या ये दो अलग अलग रास्ते हैं? जब दोस्त तर्क से ज्यादा टोटकों में विश्वास करने लगे तो किसी के लिए भी वह दोस्ती चुनौती बन जाती है.
संतान को जन्म सोचसमझ कर दें
क्या बच्चा पैदा कर उसे पढ़ालिखा देना ही अपनी जिम्मेदारियों से इतिश्री करना है? बच्चा पैदा करने और अपनी जिम्मेदारियां निभाते उसे सही भविष्य देने में मदद करने में जमीन आसमान का अंतर है.
बढ़ रहे हैं ग्रे डिवोर्स
आजकल ग्रे डिवोर्स यानी वृद्धावस्था में तलाक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. जीवन की लंबी उम्र, आर्थिक स्वतंत्रता और बदलती सामाजिक धारणाओं ने इस ट्रैंड को गति दी है.
ट्रंप की दया के मुहताज रहेंगे अडानी और मोदी
मोदी और अडानी की दोस्ती जगजाहिर है. इस दोस्ती में फायदा एक को दिया जाता है मगर रेवड़ियां बहुतों में बंटती हैं. किसी ने सच ही कहा है कि नादान की दोस्ती जी का जंजाल बन जाती है और यही गौतम अडानी व नरेंद्र मोदी की दोस्ती के मामले में लग रहा है.
विश्वगुरु कौन भारत या चीन
चीन काफी लंबे समय से तमाम विवादों से खुद को दूर रख रहा है जिन में दुनिया के अनेक देश जरूरी और गैरजरूरी रूप से उलझे हुए हैं. चीन के साथ अन्य देशों के सीमा विवाद, सैन्य झड़पों या कार्रवाइयों में भारी कमी आई है. वह इस तरफ अपनी ऊर्जा नष्ट नहीं करना चाहता. इस वक्त उस का पूरा ध्यान अपने देश की आर्थिक उन्नति, जनसंख्या और प्रतिव्यक्ति आय बढ़ाने की तरफ है.
हिंदू एकता का प्रपंच
यह देहाती कहावत थोड़ी पुरानी और फूहड़ है कि मल त्याग करने के बाद पीछे नहीं हटा जाता बल्कि आगे बढ़ा जाता है. आज की भाजपा और अब से कोई सौ सवा सौ साल पहले की कांग्रेस में कोई खास फर्क नहीं है. हिंदुत्व के पैमाने पर कौन से हिंदूवादी आगे बढ़ रहे हैं और कौन से पीछे हट रहे हैं, आइए इस को समझने की कोशिश करते हैं.