इस साल जुलाई में बोर्ड परीक्षाओं के परिणाम आए. सीबीएसई और आईसीएससी बोर्डों में प्रतिभा का जबरदस्त विस्फोट दिखाई पड़ा. सैंट्रल बोर्ड औफ सैकंड्री एजुकेशन यानी सीबीएसई में तो कई परीक्षार्थी शतप्रतिशत नंबर हासिल करते देखे गए. इस बोर्ड के तहत 12वीं के इम्तिहान में 91.25 फीसदी बच्चे पास हुए. छात्राओं ने छात्रों से 3.29 प्रतिशत बेहतर प्रदर्शन किया 33 हजार से अधिक छात्रों ने 95 प्रतिशत से अधिक अंक हासिल किए तो वहीं 1.34 लाख ने 90 प्रतिशत से अधिक अंक हासिल किए.
आईसीएससी बोर्ड में भी इस साल कुल पास प्रतिशत 99.38 फीसदी रहा. 18 छात्रछात्राओं ने टौप किया है और सभी टौपर्स को 99.75% नंबर मिले हैं.
जून के तीसरे हफ्ते में यूपी बोर्ड का रिजल्ट भी आया. यह नंबर देने के मामले में सब से कंजूस बोर्ड माना जाता है. मगर इस बार यहां भी 97.67 से 96 प्रतिशत तक अंक बच्चों ने पाए. अंकों के पीछे भागने और ढेर सारे नंबर देने की प्रवृत्ति इधर दिनोंदिन बढ़ती जा रही है.
दरअसल अब परीक्षा का प्रारूप औब्जेक्टिव कहे जाने वाले प्रश्नों पर केंद्रित हो गया है. 'कौन बनेगा करोड़पति' की तर्ज पर प्रश्नपत्र में हर सवाल के 4 संभावित उत्तर नीचे लिखे होते हैं. इन में कभीकभी सट्टे या ताश के पत्तों की तरह तुक्के भी सटीक लग ही जाते हैं. नकल करने में भी आसानी होती है. इस तरह के प्रश्नपत्रों में अधिक अंक पाने की गुंजाइश रहती है. लिखना कुछ नहीं होता. लिखे पर बस टिक लगाना होता है या बिंदी भरनी होती है.
Bu hikaye Sarita dergisinin November Second 2022 sayısından alınmıştır.
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