हिंदू धर्मग्रंथों के सार 'गीता' के अध्याय 2 श्लोक 23 के अनुसार-
नैनं छिंदति शस्त्राणि
नैनं दहति पावकः
न चैन क्लेदयंत्यापो
न शोखयति मारूत:
अर्थात, आत्मा को शस्त्र आदि नहीं काट सकते, इस को आग नहीं जला सकती, इस को जल नहीं गीला कर सकता और वायु इसे सुखा नहीं सकती है.
'गीता' के अध्याय 11, श्लोक 8 के अनुसार-
न तु मां शक्यसे द्रष्टुमनेनैव स्वचक्षुषा.
दिव्यं ददामि ते चक्षुः पाश्व मे योगमैश्वर...
परंतु मुझे इन अपने प्राकृत नेत्रों द्वारा देखने का निसंदेह समर्थ नहीं है, इसी से (मैं) तेरे लिए दिव्य अर्थात अलौकिक चक्षु देता हूं, उस से (तू) मेरे प्रभाव और योगशक्ति को देख.
आज तक गीता तथा आत्मा के बारे में किसी भी हिंदू संत, संगठन, समाज आदि ने कोई विरोध नहीं जताया है कि इन बातों में कुछ गलत है या कपोल कल्पित है.
लेकिन इस के साथ ही गरुड़पुराण (सारोद्वार सानुवाद (1416) मुद्रक गीता प्रेस, गोरखपुर) में वर्णित नरकों का, यममार्ग की यातनाओं का, मृत शैयादान, गोदान, अन्य दान का, गरुड़ पुराण, श्रवण का फल आदि का भी किसी ने कभी विरोध नहीं किया. अब गोल और गरुड़ पुराण की बातें एकदूसरे की विरोधी हैं.
सही क्या है, यह हिंदुत्व की सोच का विषय बना रहे तो अति उत्तम है.
गरुड़ पुराण के कुछेक श्लोक और उन का अर्थ इस प्रकार है-
प्रथम अध्याय के पृष्ठ क्र. 13 पर स्पष्ट उल्लेखित है कि मरणोपरांत जो पिंड दिए जाते हैं उन्हीं से शरीर के सारे अंग फिर बनते हैं.
यः पिण्डस्तेन मूर्धा प्रजायते, ग्रीवास्कन्धौ द्वितीयेन तृतीयाद्धदयं भवेत् ....
चतुर्थेन भवेत् पृष्ठं पंचमान्नाभिरेव च षण्ठे च सप्तमे चैव कटी गुह्यं प्रजायते (51-52)
ऊरुश्चाष्टमे चैव जान्वी नवमे तथा.
नवभिर्देहमासाद्य दशमेऽह्नि क्षुधा तृषा...
पिण्डजं देहमाश्रित्य क्षुधाविष्टस्तृषार्दित
एकादशं द्वादर्श च प्रेतो भुडेक्त दिनद्वयम् (53-54)
त्रयोदशेऽहनि प्रेतो यन्त्रितो यमकिड्करै =
तस्मिन् मार्गे व्रजत्येको गृहीत इव मर्कट-
Bu hikaye Sarita dergisinin December First 2022 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Giriş Yap
Bu hikaye Sarita dergisinin December First 2022 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Giriş Yap
निशानेबाजी की 'द्रोणाचार्य' सुमा शिरूर
सुमा शिरूर भारतीय निशानेबाज हैं. वर्तमान में सुमा भारतीय जूनियर राइफल शूटिंग टीम की कोच हैं. सुमा शूटिंग में अब तक कई मैडल जीत चुकी हैं, वहीं उन्हें द्रोणाचार्य पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है.
राज कपूर की 100वीं जयंती ऐसे ही कोई नहीं बन जाता शोमैन
राज कपूर नेहरूवादी सामाजिक सोच को ले कर चल रहे थे लेकिन उन की लगभग हर फिल्म के लेखक ख्वाजा अहमद अब्बास साम्यवादी विचारधारा से प्रेरित थे. यही एक वजह भी है कि राज कपूर की फिल्मों में समाजवादी मिश्रण नजर आया और उन्होंने वर्ग संघर्षों से जनित आम लोगों के सामाजिक बदलावों को परदे पर उतारा.
संतान को ही क्यों दें संपत्ति
राजनीति हो या बिजनैस सही उत्तराधिकारी का चयन ही विरासत को आगे बढ़ाता है. यदि उत्तराधिकारी ढूंढ़ने में लगता है तो समय लगता परिणाम भविष्य में घातक भी साबित होते हैं.
दुर्घटना हो जाए तो
दुर्घटना के बाद सही कदम उठाना आप के और दूसरों के लिए मददगार हो सकता है लेकिन आमतौर पर लोगों को की जानकारी कम होती है कि ऐसी परिस्थिति में वे क्या करें. जानिए यदि रास्ते में दुर्घटना हो जाए तो क्या करें.
मरने के बाद धार्मिक आडंबर के नाम पर लूट
मौत के बाद, बजाय शरीर के खाक होने के, व्यक्ति के साथ क्या होता है इस का कोई प्रमाण नहीं. बावजूद हिंदुओं में मृत्यपरांत धार्मिक कर्मकांड भरे पड़े हैं. इस के केंद्र में पंडे हैं जो दानदक्षिणा का धंधा चलाए रखना चाहते हैं.
अधूरा प्यार
अपने अधूरे को पाने की लालसा एक बार फिर मन में बलवती हो उठी थी. लेकिन रोज ने मुझे ऐसा आईना दिखाया कि उस में अपना चेहरा देख मुझे शर्म आ रही थी.
संकट कटे मिटे सब पीड़ा
गाय रोटी खाएगी तो ग्रह दोष मिटेगा, कुत्ते को खिलाओ तो दुश्मन भागेगा. मेहनत से दूर भागने वालों ने तांत्रिकों को भिखारी से करोड़पति बना दिया है, अरे वाह, यह कैसा खेल है, आप भी पढ़िए.
बीमार न कर दें पसंदीदा फूड
बच्चे तो बच्चे, अब बड़े भी जीभ के गुलाम बन गए हैं जो चटपटे खाने की तरफ दौड़ पड़ते हैं. लेकिन ये फूड्स आप को बीमार भी कर सकते हैं.
वोट ट ने बदली महिलाओं की तसवीर
रामचरितमानस में जिन औरतों को 'ताड़न की अधिकारी' बता कर वर्ण व्यवस्था का शिकार बनाया गया, वोट व्यवस्था में वही औरतें चुनावी जीत का आधार बन कर वर्ण व्यवस्था पर करारी चोट कर रही हैं.
घर खरीदने से पहले
अपना घर अपना ही होता है, भले छोटा ही हो. कई बार हम घर खरीदते समय ऐसी लापरवाहियां कर बैठते हैं जो बाद में दिक्कत देती हैं. आज के समय में घर खरीदते समय सावधानियां बरतना बहुत जरूरी है.