64 साल के श्यामजी इस शहर में अकेले रहते हैं. उन का एकमात्र लड़का अमेरिका पढ़ने गया और वहीं एक कंपनी में नौकरी कर ली. इस के बाद वहीं की एक युवती से शादी कर वहीं बस गया. श्यामजी ने तो बेटे को भारत में रहने की सलाह दी मगर उस ने यह कह कर खारिज कर दिया कि पापा, इंडिया में जौब का कोई स्कोप नहीं है. तब श्यामजी ने आगे कहना उचित नहीं समझा. उसे अपने हाल पर छोड़ दिया. एकमात्र बेटी निशा शादीशुदा जीवन बिता रही है. श्यामजी खुद 4 साल पहले एसडीओ पद से सेवानिवृत्त हो कर उज्जैन में एक छोटा सा मकान खरीद कर वहीं बस गए.
उन की पत्नी सुलोचना का 15 साल पहले निधन हो चुका था, तब से वे अकेले हैं. सेवानिवृत्ति के बाद एक बार बेटा उन्हें अमेरिका ले गया. 2 महीने का वीजा था. मगर बोर हो कर वे 15 दिन बाद ही वापस आ गए.
सेवानिवृत्ति के बाद चौकेचूल्हे का काम स्वयं करने लगे. मगर 3 साल के भीतर ही वे इस से बोर हो गए.
इस काम से जब उन्हें थकान होने लगी तब उन्होंने सोचा कि क्यों न एक कामवाली रख लें. एक दिन अपने उन्होंने पड़ोसी प्रभाकर से कहा, “भाई, अब मुझ से चौकेचूल्हे काम नहीं होता है."
"नहीं होता है तो बेटे के पास अमेरिका चले जाओ. वह तो बुला ही रहा है."
“कितनी बार कह चुका हूं कि मुझे यहीं जीनामरना है."
"ठीक है, अगर ऐसा ही है तो शादी क्यों नहीं कर लेते हो ?" प्रभाकर ने जब यह कहा तो वे नाराज हो कर बोले, "कैसी बात करते हो, इस उम्र में शादी करूं, लोग क्या कहेंगे?"
“अरे, लोग क्या कहेंगे, मैं ने तो 80 साल के आदमी को जवान लड़की के साथ शादी करते अखबार में पढ़ा है.
“हां, की होगी, करते हैं."
“तब तुम भी क्यों न कर लेते हो ? बेटा तो अब अमेरिका से आने से रहा, कौन होगा बुढ़ापे का सहारा ? इसलिए कहता हूं कि शादी कर लो.
“बसबस, रहने दो, मुझे कोई ऐसी कामवाली तलाश कर दो जो सुबहशाम आ कर घर का सारा काम कर जाए, " बीच में ही बात काट कर श्यामजी ने अपनी बात रखी. तब प्रभाकर ने आश्वस्त कर दिया.
Bu hikaye Sarita dergisinin December First 2022 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Giriş Yap
Bu hikaye Sarita dergisinin December First 2022 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Giriş Yap
पुराणों में भी है बैड न्यूज
हाल ही में फिल्म 'बैड न्यूज' प्रदर्शित हुई, जो मैडिकल कंडीशन हेटरोपैटरनल सुपरफेकंडेशन पर आधारित थी. इस में एक महिला के एक से अधिक से शारीरिक संबंध दिखाने को हिंदू संस्कृति पर हमला कहते कुछ भगवाधारियों ने फिल्म का विरोध किया पर इस तरह के मामले पौराणिक ग्रंथों में कूटकूट कर भरे हुए हैं.
काम के साथ सेहत भी
काम करने के दौरान लोग अकसर अपनी सेहत का ध्यान नहीं रखते, जिस से हैल्थ इश्यूज पैदा हो जाते हैं. जानिए एक्सपर्ट से क्यों है यह खतरनाक?
प्यार का बंधन टूटने से बचाना सीखें
आप ही सोचिए क्या पेरेंट्स बच्चों से न बनने पर उन से रिश्ता तोड़ लेते हैं? नहीं न? बच्चों से वे अपना रिश्ता कायम रखते हैं न, तो फिर वे अपने वैवाहिक रिश्ते को बचाने की कोशिश क्यों नहीं करते? बच्चे मातापिता को डाइवोर्स नहीं दे सकते तो पतिपत्नी एकदूसरे के साथ कैसे नहीं निभा सकते, यह सोचने की जरूरत है.
तलाक अदालती फैसले एहसान क्यों हक क्यों नहीं
शादी कर के पछताने वाले हजारोंलाखों लोग मिल जाएंगे, लेकिन तलाक ले कर पछताने वाले न के बराबर मिलेंगे क्योंकि यह एक घुटन भरी व नारकीय जिंदगी से आजादी देता है. लेकिन जब सालोंसाल तलाक के लिए अदालत के चक्कर काटने पड़ें तो दूसरी शादी कर लेने में हिचक क्यों?
शिल्पशास्त्र या ज्योतिषशास्त्र?
शिल्पशास्त्र में किसी इमारत की उम्र जानने की ऐसी मनगढ़ंत और गलत व्याख्या की गई है कि पढ़ कर कोई भी अपना सिर पीट ले.
रेप - राजनीति ज्यादा पीडिता की चिंता कम
देश में रेप के मामले बढ़ रहे हैं. सजा तक कम ही मामले पहुंचते हैं. इन में राजनीति ज्यादा होती है. पीड़िता के साथ कोई नहीं होता.
सिध सिरी जोग लिखी कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन
धीरेधीरे मैं भी मौजूदा एडवांस दुनिया का हिस्सा बन गई और उस पुरानी दुनिया से इतनी दूर पहुंच गई कि प्रांशु को लिखवाते समय कितने ही वाक्य बारबार लिखनेमिटाने पड़े पर फिर भी वैसा...
चुनाव परिणाम के बाद इंडिया ब्लौक
16 मई, 2024 को चुनावप्रचार के दौरान नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में दहाड़ने की कोशिश करते हुए कहा था कि 4 जून को इंडी गठबंधन टूट कर बिखर जाएगा और विपक्ष बलि का बकरा खोजेगा, चुनाव के बाद ये लोग गरमी की छुट्टियों पर विदेश चले जाएंगे, यहां सिर्फ हम और देशवासी रह जाएंगे. लेकिन 4 जून के बाद कुछ और हो रहा है.
वक्फ की जमीन पर सरकार की नजर
भाजपा की आंखें वक्फ की संपत्तियों पर गड़ी हैं. इस मामले को उछाल कर जहां वह एक तरफ हिंदू वोटरों को यह दिखाने की कोशिश करेगी कि देखो मुसलमानों के पास देश की कितनी जमीन है, वहीं वक्फ बोर्ड में घुसपैठ कर के वह उसे अपने नियंत्रण में लेने की फिराक में है.
1947 के बाद कानूनों से रेंगतीं सामाजिक बदलाव की हवाएं
15 अगस्त, 1947 को भारत को जो आजादी मिली वह सिर्फ गोरे अंगरेजों के शासन से थी. असल में आम लोगों, खासतौर पर दलितों व ऊंची जातियों की औरतों, को जो स्वतंत्रता मिली जिस के कारण सैकड़ों समाज सुधार हुए वह उस संविधान और उस के अंतर्गत 70 वर्षों में बने कानूनों से मिली जिन का जिक्र कम होता है जबकि वे हमारे जीवन का अभिन्न अंग हैं. नरेंद्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी का सपना इस आजादी का नहीं, बल्कि देश को पौराणिक हिंदू राष्ट्र बनाने का रहा है. लेखों की श्रृंखला में स्पष्ट किया जाएगा कि कैसे इन कानूनों ने कट्टर समाज पर प्रहार किया हालांकि ये समाज सुधार अब धीमे हो गए हैं या कहिए कि रुक से गए हैं.