काम से 4 दिनों की भी छुट्टी मिले तो मोहित का दिल चाहता है वह घर में मम्मी की खिचखिच, औफिस में सहयोगियों से कंपीटिशन व शहर की गरम सड़कों पर सुबहशाम बाइक दौड़ाने के रूटीन से निकल कर अपनी गर्लफ्रैंड सोफिया के साथ दूर किसी मनोरम जगह पर प्रकृति के करीब कुछ रोमांटिक पल बिता कर आए. घूमनाफिरना मोहित का शौक भी है. पहले छुट्टियों में उस के मम्मीपापा सभी बच्चों को ले कर रिश्तेदारी में चले जाते थे. समय बदला, परिवार छोटे हुए तो छुट्टियों में हिल स्टेशन जाने लगे.
जहां वे होटल में कमरे बुक करवा कर रहते थे. फिर रिसोर्ट फार्महाउस का जमाना आ गया. जो काफी महंगे होते हैं परंतु अंदर ही सारी सुविधाएं जैसे स्विमिंग पूल, झूले, रैस्तरां, बार, शोरूम आदि मिलते हैं. लेकिन ये तमाम जगहें महंगी होने के साथ वह खुशी नहीं देतीं जो किसी मनोरम स्थल पर वहां के स्थानीय लोगों के बीच उन के साथ रहने में और उन्हें जानने में मिलती है.
मोहित 26 साल का जवान लड़का है. वह और उस की गर्लफ्रैंड सोफिया दोनों गुरुग्राम के एक औफिस में कार्यरत हैं. मोहित को नएनए लोगों से मिलने और उन से बातें करने का शौक है. उस की गर्लफ्रैंड सोफिया को भी लोगों से मिलने का शौक है. उसे होटल के कड़ाही चिकन से ज्यादा स्वादिष्ठ गांव का लिट्टीचोखा लगता है, जो लकड़ी के चूल्हे पर बनता है. इसलिए वीकेंड पर मोहित और सोफिया बाइक पर उत्तराखंड या हिमाचल के किसी गांव की सैर पर निकल पड़ते हैं और वहां होम स्टे में रह कर ग्रामीण पर्यटन का खूब लुत्फ उठाते हैं.
Bu hikaye Sarita dergisinin April Second 2023 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Giriş Yap
Bu hikaye Sarita dergisinin April Second 2023 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Giriş Yap
निशानेबाजी की 'द्रोणाचार्य' सुमा शिरूर
सुमा शिरूर भारतीय निशानेबाज हैं. वर्तमान में सुमा भारतीय जूनियर राइफल शूटिंग टीम की कोच हैं. सुमा शूटिंग में अब तक कई मैडल जीत चुकी हैं, वहीं उन्हें द्रोणाचार्य पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है.
राज कपूर की 100वीं जयंती ऐसे ही कोई नहीं बन जाता शोमैन
राज कपूर नेहरूवादी सामाजिक सोच को ले कर चल रहे थे लेकिन उन की लगभग हर फिल्म के लेखक ख्वाजा अहमद अब्बास साम्यवादी विचारधारा से प्रेरित थे. यही एक वजह भी है कि राज कपूर की फिल्मों में समाजवादी मिश्रण नजर आया और उन्होंने वर्ग संघर्षों से जनित आम लोगों के सामाजिक बदलावों को परदे पर उतारा.
संतान को ही क्यों दें संपत्ति
राजनीति हो या बिजनैस सही उत्तराधिकारी का चयन ही विरासत को आगे बढ़ाता है. यदि उत्तराधिकारी ढूंढ़ने में लगता है तो समय लगता परिणाम भविष्य में घातक भी साबित होते हैं.
दुर्घटना हो जाए तो
दुर्घटना के बाद सही कदम उठाना आप के और दूसरों के लिए मददगार हो सकता है लेकिन आमतौर पर लोगों को की जानकारी कम होती है कि ऐसी परिस्थिति में वे क्या करें. जानिए यदि रास्ते में दुर्घटना हो जाए तो क्या करें.
मरने के बाद धार्मिक आडंबर के नाम पर लूट
मौत के बाद, बजाय शरीर के खाक होने के, व्यक्ति के साथ क्या होता है इस का कोई प्रमाण नहीं. बावजूद हिंदुओं में मृत्यपरांत धार्मिक कर्मकांड भरे पड़े हैं. इस के केंद्र में पंडे हैं जो दानदक्षिणा का धंधा चलाए रखना चाहते हैं.
अधूरा प्यार
अपने अधूरे को पाने की लालसा एक बार फिर मन में बलवती हो उठी थी. लेकिन रोज ने मुझे ऐसा आईना दिखाया कि उस में अपना चेहरा देख मुझे शर्म आ रही थी.
संकट कटे मिटे सब पीड़ा
गाय रोटी खाएगी तो ग्रह दोष मिटेगा, कुत्ते को खिलाओ तो दुश्मन भागेगा. मेहनत से दूर भागने वालों ने तांत्रिकों को भिखारी से करोड़पति बना दिया है, अरे वाह, यह कैसा खेल है, आप भी पढ़िए.
बीमार न कर दें पसंदीदा फूड
बच्चे तो बच्चे, अब बड़े भी जीभ के गुलाम बन गए हैं जो चटपटे खाने की तरफ दौड़ पड़ते हैं. लेकिन ये फूड्स आप को बीमार भी कर सकते हैं.
वोट ट ने बदली महिलाओं की तसवीर
रामचरितमानस में जिन औरतों को 'ताड़न की अधिकारी' बता कर वर्ण व्यवस्था का शिकार बनाया गया, वोट व्यवस्था में वही औरतें चुनावी जीत का आधार बन कर वर्ण व्यवस्था पर करारी चोट कर रही हैं.
घर खरीदने से पहले
अपना घर अपना ही होता है, भले छोटा ही हो. कई बार हम घर खरीदते समय ऐसी लापरवाहियां कर बैठते हैं जो बाद में दिक्कत देती हैं. आज के समय में घर खरीदते समय सावधानियां बरतना बहुत जरूरी है.