
पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर उत्तर प्रदेश के बरेली की एसडीएम ज्योति मौर्य का मामला खासा तूल पकड़ता जा रहा है. ज्योति मौर्य पर उस के पति आलोक मौर्य ने किसी गैरपुरुष के साथ अवैध संबंध होने का आरोप लगाया है. आरोप लगाते हुए पति ने यहां तक कहा है कि ज्योति उस से तलाक चाहती है जिस के लिए वह उस पर दबाव बनाने के लिए दहेज का झूठा आरोप भी लगा रही है.
आलोक के अनुसार, वर्ष 2010 में दोनों की शादी हुई थी. उस समय वह पंचायतराज विभाग में फोर्थ ग्रेड कर्मचारी के पद पर था. शादी के बाद उस ने ज्योति को पढ़ाया, जिस के बाद ज्योति ने लोक सेवा आयोग में महिलाओं में तीसरा व कुल मिला कर 16वां स्थान हासिल किया. घर में तब तक सब ठीक चल रहा था.
मामला तब बिगड़ा जब 2020 में ज्योति की जानपहचान गाजियाबाद में तैनात डिस्ट्रिक्ट कमांडैंट होमगार्ड से हुई. दिलचस्प यह कि जिस सोशल मीडिया पर यह मामला गरमाया है, वहीं से ज्योति के कथित अवैध संबंध का भांडा फूटा.
सारा ज्योति अपने फेसबुक अकाउंट को लौगआउट करना भूल गई जिस के मैसेज उस के पति आलोक ने पढ़ लिए. इस के बाद का मामला यहांवहां आरोपप्रत्यारोप की शक्ल में तैर ही रहा है और अब मामला इतना आगे बढ़ गया है। कि एसडीएम पर भ्रष्टाचार के एंगल भी खोजे जा रहे हैं.
अब यह आमतौर पर घटित होने वाला धोखेबाजी का मामला है, जो हर गली के लगभग हर चौथे मकान की कहानी है, जिस में आमतौर पर पुरुषमहिला दोनों लिप्त पाए जाते हैं पर इस खास मामले को ले कर सोशल मीडिया पर ट्रैंड चलने का क्या कारण है? टीवी चैनल से ले कर औनेपौने, पुछल्ले यूट्यूबरर्स इस मामले को इतना क्यों भुना रहे हैं और लोग इस में क्यों इतनी दिलचस्पी ले रहे हैं?
Bu hikaye Sarita dergisinin July Second 2023 sayısından alınmıştır.
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शादी से पहले जब न रहे मंगेतर
शादी से पहले यदि किसी लड़की या लड़के की अचानक मृत्यु हो जाए तो परिवार वालों से अधिक ट्रौमा उस के पार्टनर को झेलना पड़ता है, उसे गहरा आघात लगता है. ऐसे में कैसे डील करें.

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पति और पत्नी के बीच कमाई व खर्चों को ले कर कलह जब हद से गुजरने लगती है तो नतीजे किसी के हक में अच्छे नहीं निकलते. बात तब ज्यादा बिगड़ती है जब पति अपने घर वालों पर खर्च करने लगता है. ऐसे में क्या पत्नी को उसे रोकना चाहिए?

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गरीबों के लिए तो सरकार कई योजनाएं बनाती है लेकिन गरीबों का उद्धार करने वाले अमीरों को क्यों वंचित किया जाए उन के लग्जरी जीवन को और बेहतर बनाने से. समानता का अधिकार तो भई सभी वर्गो के लिए होना चाहिए.

अब वक्फ संपत्तियों पर गिद्ध नजर
मुसलिम समाज के पास कितनी वक्फ संपत्ति है और उसे किस तरह उस से छीना जाए, मसजिदों पर पंडों पुजारियों को कैसे बिठाया जाए, इस को ले कर लंबे समय से कवायद जारी है. इस के लिए एक्ट में संशोधन के बहाने भाजपा नेता जगदम्बिका पाल की अध्यक्षता में जौइंट पार्लियामेंट्री कमेटी का गठन किया गया, जिस में दिखाने के लिए कुछ मुसलिम नेता तो शामिल किए गए लेकिन उन के सुझावों या आपत्तियों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया.

घर में ही सब से ज्यादा असुरक्षित हैं औरतें
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट यह स्पष्ट रूप से बताती है कि महिलाओं के लिए घर ही सब से असुरक्षित स्थान बन चुका है. इस असुरक्षा का समाधान समाज और सरकार की ओर से समग्र दृष्टिकोण अपनाने से ही संभव हो सकता है.

मेहमान बनें बोझ नहीं
घर में मेहमान आते हैं तो चहलपहल बनी रहती है. लेकिन मेहमान अगर मेहमाननवाजी कराने के लिए आएं तो मेजबान के पसीने छूट जाते हैं और उसे चिड़चिड़ाहट होने लगती है. ऐसे में जरूरी है कि मेहमान कुछ एथिक्स का ध्यान रखें.

कहां जाता है दान का पैसा
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मुफ्त में मनोरंजन अफीम की लत या सिनेमा की फजीहत
बौलीवुड की अधिकतर फिल्में बौक्स ऑफिस पर लगातार असफल हो रही हैं. ऐसा क्यों हो रहा है, इस पर विचार करने की जगह यह इंडस्ट्री चुनावी नेताओं की तरह बीचबीच में फ्रीबीज की घोषणा कर देती है. इस से हालात क्या सुधर सकते हैं?

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जीवन का सफर हर मोड़ पर नए अनुभव और सीखने का मौका देता है. पार्टनर का साथ नहीं रहा, बढ़ती उम्र है, लेकिन जिंदगी खत्म तो नहीं हुई न. इस दौर में भी हर दिन एक नई उमंग और आनंद से जीने की संभावनाएं हैं.