इकलौती संतान शादी के बाद
Sarita|September First 2023
इकलौते बच्चे आमतौर पर हर समय अपने पैरेंट्स पर निर्भर रहते हैं. वे अपनी समस्याएं उन्हीं से शेयर करते हैं पर शादी के बाद जीवनसाथी से हर चीज शेयर करने पर ही दांपत्यरूपी गाड़ी सुचारू रूप से चलती है, यह उन्हें सीखना पड़ता है.
इकलौती संतान शादी के बाद

कलौते बच्चे मांबाप के समस्त प्यार और आशाओं का केंद्र होते हैं. उन्हें लाड़चाव और अटैंशन कुछ ज्यादा ही मिलता है. इस फेर में कई इकलौते बच्चे अपने आप को स्पैशल समझनेमानने लगते हैं. वे चाहते हैं कि ऐसा ट्रीटमैंट उन्हें औरों से भी मिले. इसी लाड़चाव के वे इतने आदी हो जाते हैं कि बहुत बार वे दूसरों की इच्छाओं, प्रायोरिटी और पसंद का खयाल ही नहीं रखते.

आस्था अकसर परेशान रहती है. कारण, जिस चीज को जहां रखती है वह वहां मिलती ही नहीं है. चीज को ढूंढ़ना उसे समय खोना लगता है. दरअसल, आस्था बहुत ही व्यवस्थित है. उस का ज्यादातर समय घर को व्यवस्थित करने में ही बीत जाता है. मांबाप का इकलौता लड़का अमन जब से आस्था का पति बना है तब से आस्था उस की बेतरतीबी का शिकार है. शादी से पहले अमन की मां अमन का सारा सामान व्यवस्थित करती थी, अब वह यही उम्मीद अपनी पत्नी से करता है. उसे लगता है कि पत्नी उस का ध्यान नहीं रखती. उसे उस से प्यार नहीं है.

उधर आस्था कहती है कि पति का इतना ध्यान रखने पर भी उसे पति की जलीकटी सुननी पड़ती है. कोई दूसरा कब तक किसी का ध्यान रख सकता है. यह काम तो आदत का हिस्सा होना चाहिए. ये हर चीज को पूछते हैं कि कहां रखी है? क्या दूसरों के पास और कोई काम नहीं है? ऐसा काम ही क्यों करें, जिस से दूसरों का समय बरबाद हो. नई डिश बनाने, नए सिरे से घर सजाने आदि क्रिएटिव कामों में समय देने में मजा भी आता है.

Bu hikaye Sarita dergisinin September First 2023 sayısından alınmıştır.

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