एकतरफा प्यार में सिरफिरे आशिकों की दास्तां आएदिन सुनने/पढ़ने को मिलती रहती है. किसी ने प्रेमिका को गोली से उड़ा दिया तो किसी ने जला दिया. कोई उस के घरवालों के साथ खून की होली खेल कर लौटा तो किसी ने खुद ही आत्महत्या कर ली. इस एकतरफा प्यार की गिरफ्त में आ कर सिर्फ लड़के ही नहीं बल्कि लड़कियां और यहां तक कि किन्नर भी गलत कदम उठा लेती हैं.
नवंबर 2023 में मुंबई में एकतरफा प्यार में पागल हो कर अलवीना ने फांसी लगा ली. उस ने अपने प्रेमी को दूसरी लड़की के साथ देख लिया था. इसी वजह से उस का दिल टूटा तो उस ने यह कदम उठा लिया. दरअसल अलवीना एक लड़के से प्यार करती थी लेकिन कुछ दिनों पहले उस ने अपने प्रेमी को किसी दूसरी लड़की के साथ देखा था. इस के बाद अलवीना ने अपने प्रेमी से कई बार मिलने के लिए कहा था. लेकिन वह उस से नहीं मिला. अलवीना अपने बॉयफ्रैंड के इस रवैये से काफी परेशान थी. अलवीना इंस्टाग्राम पर काफी मशहूर थी. उस ने आत्महत्या करने से पहले एक वीडियो भी बनाया.
"एकतरफा प्यार की ताकत ही कुछ और होती है. औरों के रिश्तों की तरह यह 2 लोगों में नहीं बंटता, सिर्फ मेरा हक है। इस पर, 'ए दिल है मुश्किल' फिल्म का यह डायलॉग सुनने में तो बहुत अच्छा लगता है लेकिन इस में कितनी तकलीफ है, यह एकतरफा प्यार में पड़ा व्यक्ति ही समझ सकता है. दरअसल किसी के प्रति आकर्षण होना जितना सहज है, किसी का आप के प्यार को अस्वीकार कर देना भी उतना ही सामान्य है. मगर एकतरफा प्यार करने वाले के लिए यह दर्द सहना बहुत कठिन हो जाता है.
क्या है एकतरफा प्यार
एकतरफा प्यार एक तरह का प्यार ही होता है लेकिन सिर्फ एक तरफ से. इस का मतलब यह है कि या तो आप किसी ऐसे व्यक्ति से प्यार करते हैं जो आप से प्यार नहीं करता या आप किसी व्यक्ति से प्यार करते हैं मगर कभी बताया नहीं या फिर ऐसा व्यक्ति अब आप की पहुंच से बाहर है और उसने मूवऔन कर लिया है. एकतरफा प्यार तब भी हो सकता है जब आप किसी ऐसे व्यक्ति के प्रति आकर्षित हो जाते हैं जो किसी और के साथ रिलेशनशिप में है. यह ब्रेकअप के बाद भी हो सकता है और यह तब भी हो सकता है जब आप अपने रिलेशन में खुश हों लेकिन आप का पार्टनर आप को छोड़ना चाहता हो. इस प्यार में दर्द और अकेलापन ज्यादा महसूस होता है.
Bu hikaye Sarita dergisinin July Second 2024 sayısından alınmıştır.
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यह देहाती कहावत थोड़ी पुरानी और फूहड़ है कि मल त्याग करने के बाद पीछे नहीं हटा जाता बल्कि आगे बढ़ा जाता है. आज की भाजपा और अब से कोई सौ सवा सौ साल पहले की कांग्रेस में कोई खास फर्क नहीं है. हिंदुत्व के पैमाने पर कौन से हिंदूवादी आगे बढ़ रहे हैं और कौन से पीछे हट रहे हैं, आइए इस को समझने की कोशिश करते हैं.