बीमार व्यक्ति से मिलने जाएं तो कैसा बरताव करें
Sarita|November First 2024
अकसर अपने बीमार परिजनों से मिलने जाते समय लोग ऐसी हरकतें कर या बातें कह देते हैं जिस से सकारात्मकता की जगह नकारात्मकता हावी हो जाती है और माहौल खराब हो जाता है. जानिए ऐसे मौके पर सही बरताव करने का तरीका.
प्रतिभा अग्निहोत्री
बीमार व्यक्ति से मिलने जाएं तो कैसा बरताव करें

गांव में रहने वाली अंशिका के ससुर को एक दिन हार्टअटैक आया तो अंशिका के पति उन्हें अपने साथ दिल्ली ले आए. 10 दिनों तक अस्पताल में रहने के बाद वे वापस घर आ गए. एक तरफ जहां उस के ससुर को स्वास्थ्य लाभ हो रहा था वहीं दूसरी तरफ अंशिका की मुसीबतें दिनबदिन बढ़ती जा रही थीं. ससुर के घर आने के बाद उन्हें देखने आने वालों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा था. दो बच्चों की पढ़ाई और सास व बीमार ससुर की जिम्मेदारी. उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि कैसे मैनेज करे.

अंशुल के पिता को प्रोस्टेट की समस्या थी. एक दिन यह समस्या बहुत अधिक बढ़ गई तो डाक्टर ने औपरेशन करने की सलाह दी. अंशुल को अभी मुंबई पहुंचे एक साल ही हुआ था, सो बहुत अधिक जानकारी नहीं थी पर जैसे ही पिता को हौस्पिटल में एडमिट कराया तो उस की 2 बहनें और भाई भी मुंबई पहुंच गए. अब अंशुल पिता से कम, अपने भाईबहनों से ज्यादा परेशान था क्योंकि पिताजी तो आईसीयू में थे, उन्हें खानापीना सब हौस्पिटल से ही मिलता था परंतु भाईबहन मुंबई में नए थे और वहां की कोई जानकारी न होने के कारण वे प्रत्येक काम के लिए अंशुल पर ही निर्भर थे जिस से अंशुल बहुत परेशान हो जाता.

Bu hikaye Sarita dergisinin November First 2024 sayısından alınmıştır.

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क्या शादी छिपाई जा सकती है
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जून से नवंबर सिर्फ 5 माह में महाराष्ट्र व झारखंड की विधानसभाओं और दूसरे उपचुनावों में चुनावी समीकरण कैसे बदल गया, लोकसभा चुनावों में मुंह लटकाने वाली पार्टी के चेहरे पर मुसकान आ गई लेकिन कुछ काटे चुभे भी.

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क्या कानून हमेशा समाज सुधार का रास्ता दिखाते हैं या कभीकभी सत्ता के इरादों का मुखौटा बन जाते हैं? 2014 से 2024 के बीच बने कानूनों की तह में झांकें तो भारतीय लोकतंत्र की तसवीर कुछ अलग ही नजर आती है.

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