![अमेरिका अब चर्च का शिकंजा अमेरिका अब चर्च का शिकंजा](https://cdn.magzter.com/1338812051/1732102139/articles/pbATJP_fC1732615443358/1732615691194.jpg)
५ नवंबर की अपनी जीत के बाद 6 नवंबर को पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जब फ्लोरिडा स्थित पाम बीच कन्वेंशन सेंटर में भाषण दे रहे थे तब लौबी में उन के सैकड़ों समर्थक इकट्ठा थे और हाउ ग्रेट थू आर्ट (हे ईश्वर तू कितना महान है) गा रहे थे. यह एक ईसाई भजन है जिसे 1885 में एक स्वीडिश कवि और राजनेता कार्लबर्ग ने लिखा था. इस के लंबे चौड़े अनुवाद का सार यह है कि ईश्वर महान हैं, सर्वशक्तिमान है वगैरह वगैरह.
इस भजन की भाषा ठीक वैसी है जैसी हिंदू धर्म में वेदों की ऋचाओं की है. यानी, हरेक छंद में आदमी के अपने पापी और हीन होने का कन्फेशन, पाप, पुण्य, मोक्ष, उद्धार जैसे शब्द और फिर उस महान परमेश्वर से बातबात पर क्षमा मांगना और तरहतरह की याचनाएं करना और फिर बातबात में ही उस का आभार व्यक्त करना आदि है. कार्लबर्ग विकट के पूजापाठी थे जिन की परवरिश ही एक चर्च में हुई थी. इस दिन भीड़ में आकर्षण का केंद्र बने इवेंजेलिकल ईसाईयों ने भी अपने क्लासिक भजनों को गा कर खुशी जताई.
आखिर खुशी जताते भी क्यों न, उन के हिस्से में तो मौका भी था, मौसम भी था और दस्तूर भी था जिसे शब्द देते 2016 से ही ट्रंप के कट्टर इंजील समर्थक रहे डलास के फर्स्ट बैपटिस्ट चर्च के पादरी रौबर्ट जेफ्रेस ने कहा, "यह एक बड़ी जीत है. इवेंजेलिकल्स के लिए कुछ आस्था संबंधी मुद्दे महत्त्वपूर्ण थे. लेकिन इवेंजेलिकल्स भी अमेरिकी हैं. इन्हें आप्रावासन की चिंता है, इन्हें अर्थव्यवस्था की चिंता है. इस ऐतिहासिक करार दी जाने वाली जीत का जश्न स्वाभाविक तौर पर पूरे अमेरिका की सड़कों पर मनाया गया. "
Bu hikaye Sarita dergisinin November Second 2024 sayısından alınmıştır.
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![मौन का मूलमंत्र जिंदगी को बनाए आसान मौन का मूलमंत्र जिंदगी को बनाए आसान](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/LowUfbRDd1739346630309/1739346915320.jpg)
मौन का मूलमंत्र जिंदगी को बनाए आसान
हम बचपन में बोलना तो सीख लेते हैं मगर क्या बोलना है और कितना बोलना है, यह सीखने के लिए पूरी उम्र भी कम पड़ जाती है. मौन रहना आज के दौर में ध्यान केंद्रित करने की तरह ही है.
![सरकार थोप रही मोबाइल सरकार थोप रही मोबाइल](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/PC285IuYk1739280195789/1739280474981.jpg)
सरकार थोप रही मोबाइल
सरकार द्वारा कई स्कीमों को चलाया जा रहा है. बिना एडवांस मोबाइल फोन और इंटरनैट सेवा की इन स्कीमों का फायदा उठाना असंभव है. ऐसा अनावश्यक जोर क्या सही है?
![सास बदली लेकिन नजरिया नहीं सास बदली लेकिन नजरिया नहीं](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/pg03lBb3y1739281192590/1739281417705.jpg)
सास बदली लेकिन नजरिया नहीं
सास और और बहू को एकदूसरे की भूमिका को स्वीकार करना चाहिए. सास पुरानी परंपराओं का पालन करते हुए बहू को सिखा सकती है और बहू नई सोच व नए दृष्टिकोण से घर को बेहतर बना सकती है.
![अमेरिका में भी पनप रहा ब्राह्मण व बनिया गठजोड़ अमेरिका में भी पनप रहा ब्राह्मण व बनिया गठजोड़](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/s4o9Sj54G1739278764498/1739279348669.jpg)
अमेरिका में भी पनप रहा ब्राह्मण व बनिया गठजोड़
डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह के साथ ही अमेरिका में एक नए दौर की शुरुआत हो चुकी है जिसे ले कर हर कोई आशंकित है कि अब लोकतंत्र को हाशिए पर रख धार्मिक एजेंडे पर अमल होगा.
![किस संतान को मिले संपत्ति पर ज्यादा हक किस संतान को मिले संपत्ति पर ज्यादा हक](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/9JDheV0BY1739279671565/1739280166756.jpg)
किस संतान को मिले संपत्ति पर ज्यादा हक
यह वह दौर हैं जब पेरैंट्स की सेवा न करने वाली संतानों की अदालतें तक खिंचाई कर रही हैं लेकिन मांबाप की दिल से सेवा करने वाली संतान के लिए जायदाद में ज्यादा हिस्सा देने पर वे भी अचकचा जाती हैं क्योंकि कानून में ऐसा कोई प्रावधान ही नहीं है. क्या यह ज्यादती नहीं?
![युवाओं के सपनों के घर पर डाका युवाओं के सपनों के घर पर डाका](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/SzT5OWXW71739279379347/1739279671358.jpg)
युवाओं के सपनों के घर पर डाका
नौकरीपेशा होम लोन ले कर अपने सपनों का आशियाना खरीद लेते हैं. लेकिन यहां समस्या तब आती है जब किसी यूइत में वे लोन नहीं चुका पाते. ऐसे में कई बार उन्हें अपने घर से हाथ धोना पड़ता है.
![मेलजोल के अवसर बुफे पार्टी मेलजोल के अवसर बुफे पार्टी](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/kAkDNoyBV1739280807508/1739281176766.jpg)
मेलजोल के अवसर बुफे पार्टी
बूफे पार्टी में मेहमान भोजन और अच्छे समय का आनंद लेने के साथसाथ सोशल गैदरिंग के चलन को भी जीवित रखते हैं. यह अवसर न केवल खानपान के लिए होता है बल्कि यह लोगों के बीच बातचीत, हंसीमजाक और आपसी विचारों के आदानप्रदान का एक साधन भी है.
![अल्लू अर्जुन को जेल भगवान दोषमुक्त अल्लू अर्जुन को जेल भगवान दोषमुक्त](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/RkxmXuMNk1739280478617/1739280798357.jpg)
अल्लू अर्जुन को जेल भगवान दोषमुक्त
एक तरह के हादसे पर कानून दो तरह से कैसे काम कर सकता है? क्या यह न्याय और संविधान दोनों का अपमान नहीं ?
![ऊंचे ओहदे वालों में अकड़ क्यों ऊंचे ओहदे वालों में अकड़ क्यों](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1971251/jsAA7PQtH1737712505485/1737712993859.jpg)
ऊंचे ओहदे वालों में अकड़ क्यों
कुछ लोगों में अपने रुतबे को ले कर अहंकार होता है. उन्हें लगता है कि उन का ओहदा, उन का पद बैस्ट है. वे सुपीरियर हैं. यह सोच अहंकार और ईगो लाती है जो इंसान के व्यवहार में अड़चन डालती है.
![बंटोगे तो कटोगे वाला नारा प्रधान राष्ट्र बंटोगे तो कटोगे वाला नारा प्रधान राष्ट्र](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1971251/igzsVRgNl1737713300356/1737713410810.jpg)
बंटोगे तो कटोगे वाला नारा प्रधान राष्ट्र
देश नारा प्रधान है. काम भले कुछ न हो रहा हो पर पार्टियां और सरकारों द्वारा उछाले नारों की खुमारी जनता पर खूब छाई रहती है.