इस सम्मेलन की शुरुआत बुधवार को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास के मुख्य भाषण और फायरसाइड चैट तथा भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के पूर्व चेयरमैन एम दामोदरन द्वारा एक्सपो उद्घाटन के साथ होगी।
दो दिनों (21 और 22 दिसंबर) तक चलने वाले इस सम्मेलन में भारत की वित्तीय प्रणाली के विभिन्न क्षेत्रों को प्रभावित करने वाले विविध विषयों पर 11 पैनल चर्चा करेंगे।
आरबीआई गवर्नर ऐसे समय में अपने विचार साझा करने जा रहे हैं जब मुद्रास्फीति 6 फीसदी से नीचे आ गई है और चालू कैलेंडर वर्ष में मुद्रास्फीति पहली बार आरबीआई के लक्षित दायरे 2 से 6 फीसदी के भीतर है। आरबीआई गवर्नर ने बीते समय में कई मौकों पर जिक्र किया है कि मुद्रास्फीति के खिलाफ लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। इसलिए मुद्रास्फीति में स्थायी गिरावट देखने के लिए केंद्रीय बैंक अभी भी सतर्क है।
Bu hikaye Business Standard - Hindi dergisinin December 21, 2022 sayısından alınmıştır.
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अमेरिका जाने के लिए वीजा की बहुत अधिक मांग महत्त्वपूर्ण मुद्दा रहा है।
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राजधानी दिल्ली में चुनावी वादों में लोकलुभावन योजनाओं को वरीयता देने से ढांचागत विकास के समक्ष उभरी चुनौतियाँ
ट्रंप का नया कार्यकाल और बजट निर्माण
अमेरिका में डॉनल्ड ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद नीतिगत मोर्चे पर भविष्य अनिश्चित नजर आ रहा है। ऐसे में बजट में वृद्धि, रोजगार और शासन के मोर्चे पर संतुलन कायम हो। बता रहे हैं टीटी राम मोहन
वर्ष 2025 में निदेशक मंडलों का एजेंडा
नया साल यानी 2025 उथल-पुथल भरा रह सकता है। ऐसे में निदेशक मंडलों (बोर्ड) पर अपनी कंपनियों को इस नए साल में नई चुनौतियों से उबारने की जिम्मेदारी होगी।
रूस के सस्ते कच्चे तेल में हो सकती है कटौती
रूस की तेल व गैस इकाइयों पर अमेरिका द्वारा लगाए गए नवीनतम प्रतिबंधों का परोक्ष असर भारत पर भी हो सकता है। इससे भारत को रूस से छूट पर मिलने वाले कच्चे तेल में कटौती हो सकती है और क्रूड बाजार कीमतों पर खरीदना पड़ सकता है।
रुपये की विनिमय दर में स्थिरता अनिवार्य नहीं
रुपये में आई हालिया भारी गिरावट और देश के विदेशी मुद्रा भंडार में आई तेज कमी के कारण अब इस पर बहस शुरू हो गई है कि क्या विनिमय दर को स्थिर बनाए रखना जरूरी है और वांछनीय है।
कर बदलाव से 2024 में शेयर बायबैक पर पड़ा असर
वर्ष 2023 में 6 साल के ऊंचे स्तर पर पहुंचने के बाद पिछले साल कंपनियों ने पुनर्खरीद पेशकश पर कम रकम खर्च की। सरकार ने कर बोझ कंपनियों से निवेशकों पर डाल दिया। इस कारण इस खर्च में कमी आई। वर्ष 2024 में 48 कंपनियों ने 13,423 करोड़ रुपये के शेयर पुनः खरीदे। यह रकम 2023 में इतनी ही संख्या वाली कंपनियों की शेयर पुनर्खरीद राशि से कम है। तब उनकी राशि 48,079 करोड़ रुपये रही थी।