साल 2023 के दौरान राजनीतिक दलों ने ‘मुफ्त उपहार’ बनाम ‘कल्याणकारी योजना’ पर बहस को सुलझाया। पिछले साल के मध्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मुफ्त उपहार को ‘रेवड़ी’ कहे जाने के बाद इस पर बहस छिड़ गई थी। पिछले 12 महीनों के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस ने 9 विधानसभा चुनावों में मतदाताओं को रिझाने के लिए बढ़-चढ़कर कल्याणकारी योजनाओं का वादा किया।
अगले कुछ महीनों के दौरान महिला मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए राजनीतिक दलों के बीच कल्याणकारी वादों के लिए तगड़ी प्रतिस्पर्धा दिखने के आसार हैं। साल 2023 के दौरान भाजपा और कांग्रेस यानी दोनों प्रमुख दलों ने महिला मतदाताओं को एक अलग वोट बैंक के रूप में लुभाया। ऐसा उन्होंने शायद ही पहले कभी किया होगा। अप्रैल से मई के बीच कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान महिलाओं के लिए कांग्रेस द्वारा की गई गारंटी को भाजपा के मुकाबले अधिक समर्थन मिला। हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में जीत के बाद कांग्रेस के पास आखिरकार मोदी की रणनीतियों को टक्कर देने का पर्यापत करण था।
मगर प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस पर अपने संबोधन में एक बदलाव का संकेत दिया। उन्होंने लोगों अपना ‘परिवारजन’ कहकर संबोधित किया और महिलाओं के नेतृत्व में विकास के बारे में बात की। उन्होंने बताया कि उनकी सरकार का लक्ष्य ‘दो करोड़ लखपति दीदी’ तैयार करने की है। उसके एक महीने बाद यानी सितंबर में प्रधानमंत्री ने महिला आरक्षण विधेयक पारित कराने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाने की पहल की।
दिसंबर आते-आते भाजपा ने तीन प्रमुख हिंदीभाषी राज्यों- छत्तीसगए़, मध्य प्रदेश और राजस्थान- में कांग्रेस की गारंटी को ‘मोदी की गारंटी’ से मात दे दी। मोदी की गारंटी का मुख्य आकर्षण उसकी महिला केंद्रित योजनाएं थीं। दिल्ली के एक थिंक टैंक के आंकड़ों के अनुसार, हिंदी पट्टी के राज्यों में कांग्रेस के मुकाबले करीब 4 फीसदी अधिक महिलाओं ने भाजपा को वोट दिया।
साल 2023 के दौरान 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए और हर जगह महिला मतदाताओं द्वारा बढ़चढ़कर मतदान करने का रुझान दिखा। भले ही संसद और विधानसभाओं में उनका प्रतिनिधित्व अब भी कमजोर है।
Bu hikaye Business Standard - Hindi dergisinin December 30, 2023 sayısından alınmıştır.
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