पिछले साल 8 दिसंबर को केंद्र सरकार ने सभी को हैरत में डालते हुए मार्च, 2024 तक पीली मटर के आयात से शुल्क पूरी तरह हटाने की मंजूरी दे दी। कारोबारी सूत्रों का कहना है कि भाव काबू में रखने के मकसद से लिए गए सरकार के इस फैसले के पीछे चने का उत्पादन कम रहने की चिंता नजर आ रही है। पीली मटर के शुल्क मुक्त आयात से चने के उत्पादन में होने वाली संभावित कमी से काफी हद तक निपटा जा सकता है।
भारत में हर साल 2.5 से 2.7 करोड़ टन दलहन उत्पादन होता है। इसमें सबसे ज्यादा 44 से 48 फीसदी हिस्सेदारी चने की ही है। अगर इसकी उपज में जरा भी कमी आई तो महंगाई बढ़ सकती है और आम चुनाव नजदीक होने के कारण सरकार महंगाई में इजाफे का खतरा मोल नहीं ले सकती।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने इस संवाददाता से कुछ महीने पहले कहा था, 'हम खाद्य महंगाई को काबू में रखने के लिए पूरी तरह कमर कसे बैठे हैं और दाम नीचे रखने के लिए हरमुमकिन कदम उठाएंगे।' ऑल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल ने कहा, 'मार्च 2024 तक शुल्क-मुक्त पीली मटर आयात की अनुमति देने का फैसला सरकार ने चने की अगली फसल में पैदावार घटने की चिंता में किया है। दरअसल यह एहतियाती कदम है। साथ ही इसका मकसद सस्ती 'भारत चना दाल' उपलब्ध कराने के सरकार के फैसले के हिसाब से चने के भाव स्थिर रखना है।'
चने के तेवर ढीले
Bu hikaye Business Standard - Hindi dergisinin January 17, 2024 sayısından alınmıştır.
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'तत्काल सुनवाई के लिए मौखिक उल्लेख नहीं, ईमेल या पत्र भेजा जाए'
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5 महीने के निचले स्तर के करीब निफ्टी
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