आजीवन मार्क्सवाद के प्रति समर्पित रहे येचुरी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के शीर्ष नेताओं में से एक रहे। उन्होंने सन 2000 के दशक के शुरुआती दौर से ही यह प्रयास आरंभ कर दिया था कि देश का वामपंथी आंदोलन भारत की सामाजिक-सांस्कृतिक जटिलताओं को लेकर अपने सैद्धांतिक दृष्टिकोण का त्याग करे और संघ परिवार से निपटने के लिए चुनावी और सामाजिक गठबंधन स्थापित करने पर काम करे।
सन 1992 से 2005 तक जब सुरजीत ने माकपा का नेतृत्व किया तो इस दौरान यानी 1996 में संयुक्त मोर्चा सरकार और 2004 में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार को आकार देने में येचुरी ने उनके सिपहसालार के रूप में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने संयुक्त मोर्चा सरकार के न्यूनतम साझा कार्यक्रम के निर्माण में कांग्रेस के पी. चिदंबरम के साथ मदद की और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की पहली सरकार में वह इसके शिल्पकारों में से एक थे।
येचुरी ने पड़ोसी मुल्क नेपाल के माओवादी विद्रोहियों को प्रेरित किया कि वे जंग छोड़कर बहुदलीय लोकतांत्रिक प्रक्रिया में शमिल हों। पार्टी की केंद्रीय समिति के अंतरराष्ट्रीय विभाग के मुखिया के रूप में येचुरी विदेशों में पार्टी की पहचान भी थे।
Bu hikaye Business Standard - Hindi dergisinin September 13, 2024 sayısından alınmıştır.
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