लगातार बढ़ती खपत क्षमता को देखते हुए दिग्गज विदेशी कंपनियां भारत में अपने निवेश और कारोबारी रणनीतियों पर दोबारा विचार करने को मजबूर हो रही हैं। दिग्गज सीईओ और व्यापार विश्लेषकों का मानना है कि देश की तेज वृद्धि और आर्थिक सुधारों से बदले हालात के कारण निवेश परिदृश्य करवट ले रहा है। भारत की समृद्ध होती विकास गाथा के कारण ही विदेशी ब्रांड पूर्व में यहां से अपना कारोबार समेटने के फैसलों पर पुनर्विचार करने लगे हैं, ताकि वे भी यहां उभरते अवसरों को भुना सकें।
लगभग एक दशक पहले जुलाई 2014 में यूरोप की दूसरी सबसे बड़ी रिटेल चेन कारफू ने भारत में अपने सभी कैश ऐंड कैरी स्टोर बंद कर यहां से कारोबार समेटने का ऐलान किया था। कंपनी ने यह फैसला अपनी कारोबारी महत्त्वाकांक्षाओं को उड़ान देने में असफल रहने के बाद उठाया था। जिस तरह कंपनी देश में आई और फिर अचानक कारोबार बंद कर यहां से चली गई, उसे देखते हुए ऐसा नहीं लग रहा था कि यह दोबारा कभी वापस आने के बारे में सोचेगी। लेकिन कुछ दिन पहले फ्रांस की इस खुदरा सामान बेचने वाली कंपनी ने भारत में दोबारा अलग रूप में अपना कारोबार शुरू करने का ऐलान किया है, क्योंकि देश में अभी भी मल्टी ब्रांड रिटेल क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के दरवाजे बंद हैं।
कड़ी प्रतिस्पर्धा और कोविड-19 महामारी के दौरान सुस्त मांग के कारण अमेरिका की दिग्गज वाहन कंपनी फोर्ड ने सितंबर 2022 में भारत में कारोबार बंद करने का ऐलान किया था। पिछले सप्ताह इस कंपनी ने दोबारा भारत आने की घोषणा करते हुए कहा कि वह तमिलनाडु के मरैमलाई संयंत्र में पुन: उत्पादन शुरू करेगी। मरैमलाई राज्य की राजधानी चेन्नई से लगभग 50 किलोमीटर दूर है।
Bu hikaye Business Standard - Hindi dergisinin September 20, 2024 sayısından alınmıştır.
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