लुभावने वादे, सभी दल आगे
Business Standard - Hindi|October 01, 2024
हरियाणा में विधान सभा चुनाव के लिए 5 अक्टूबर को मतदान होगा। प्रचार अभियान अब अंतिम चरण में पहुंच गया है। मतदाताओं को लुभाने के लिए सभी राजनीतिक पार्टियां बढ़-चढ़ कर वादे कर रही हैं और लगभग सभी ने अपने- अपने घोषणा पत्रों को कल्याणकारी योजनाओं से सजाया है। हरियाणा में राजस्व की कोई कमी नहीं है और राजनीतिक दल स्थानीय संसाधनों के सहारे चुनावी वादों को पूरा करने का दम भर रहे हैं।
शिखा चतुर्वेदी
लुभावने वादे, सभी दल आगे

राज्य में सभी दलों का जोर जवान, किसान और पहलवान के मुद्दों पर है। मालूम हो कि कृषि प्रधान राज्य हरियाणा की पहचान पहलवानों से भी है और यहां अधिकांश युवा सेना एवं पुलिस की नौकरी पसंद करते हैं। इसलिए प्रमुख मुद्दे इन्हीं से संबंधित हैं और प्रचार अभियान भी इन्हीं के इर्द-गिर्द घूम रहा है। इसके अलावा बेरोजगारी और महिला कल्याण की बातें भी चुनाव में हो रही हैं। किसानों के लिए राजनीतिक दल न्यूनतम समर्थन मूल्य, बुनियादी विकास, महिलाओं के खाते में नकद ट्रांसफर और पूर्व अग्निवीरों के लिए सरकारी नौकरी की गारंटी जैसे मुद्दे जोरशोर से उठाए जा रहे हैं।

हरियाणा खेती पर अपने कुल बजट का 5.3 प्रतिशत ही खर्च करता है, जो अन्य राज्यों के औसत 5.9 प्रतिशत से काफी कम है। इस संदर्भ में किसानों से संबंधित प्रस्तावित योजनाएं और न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी जैसे वादे समय की मांग हैं और जो भी राजनीतिक दल अपने इन मुद्दों को बेहतर ढंग से पेश करेगा, वही किसानों का समर्थन हासिल कर सकता है। राजनीतिक दलों के घोषणा पत्रों में महिला कल्याण के मुद्दे को भी प्रमुखता से उभारा गया है। इस समय हरियाणा में महिलाओं में बेरोजगारी दर 2.2 प्रतिशत है और उनके काम या रोजगार की गुणवत्ता चिंता का सबब बनी हुई है।

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