ऐसे इलाकों में अक्सर पुराने मकान, फुटपाथ और सड़कों के किनारे एक के बाद एक दुकानें दिख जाते हैं जिनसे यातायात बाधित होता रहता है। बिजली के खंभों से झूलते तार और इमारतों के नीचे तहखाने आग लगने की घटनाओं को सीधा निमंत्रण देते रहते हैं।
अवैध निर्माण के लिए बदनाम ऐसे इलाके लोगों के रोजमर्रा के जीवन में खलल डालते रहते हैं। अनियंत्रित और अवैध निर्माण से शहरी इलाकों में होने वाली समस्याएं शहरी संसाधनों के प्रबंधन और प्रशासन में ही दिक्कत पैदा नहीं करतीं बल्कि शहरवासियों के जीवन की सुगमता और सामाजिक समरसता में भी व्यवधान डालती हैं।
इस वर्ष ही अवैध एवं अनधिकृत इमारतों से कई त्रासद दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। जुलाई में मुंबई में एक अवैध चार-मंजिला इमारत ढहने से तीन लोगों की मौत हो गई। मार्च में कोलकाता में अवैध इमारत ढहने से 12 लोगों की जान चली गई। राष्ट्रीय राजधानी में तीन युवा छात्र भारी वर्षा से एक अवैध तहखाने में भरे पानी में डूब गए। ये अवैध निर्माण पर्यावरण पर प्रतिकूल असर डालते हैं, जीवन की गुणवत्ता बिगाड़ते हैं और कुछ मामलों में तो ऐसा नुकसान कर देते हैं, जिसकी भरपाई ही नहीं हो सकती। यह संकट बहुत भयावह है, इसलिए अधिक समय तक इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। अब यह अति आवश्यक हो गया है कि इन निर्माणों से जुड़े नियम सख्त बनाए जाएं।
इस तरह के अवैध निर्माण के बड़े आर्थिक एवं पर्यावरणीय दुष्परिणाम दिखते हैं। पहली बात, कर राजस्व का बड़ा नुकसान होता है क्योंकि इस तरह की संपत्तियों की रजिस्ट्री ही नहीं होती। दूसरी बात, अवैध निर्माण से अनियोजित विस्तार होता है, जिससे सड़क, बिजली, पानी जैसी सुविधाओं एवं संसाधनों पर बोझ बढ़ता है। उनके लिए संसाधन और सुविधाएं देने पर अतिरिक्त व्यय करना पड़ता है।
Bu hikaye Business Standard - Hindi dergisinin October 30, 2024 sayısından alınmıştır.
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