अदालती फैसला
■ यह फैसला सुनिश्चित करता है कि अब धन वितरण के उद्देश्य से बनाई जाने वाली नीतियां बेहद सावधानी से बनाई जाएंगी
■ सरकार को स्पष्ट सामुदायिक लाभ के बिना निजी संपत्तियों के अंधाधुंध अधिग्रहण से बचना होगा
■ सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में अपना फैसला 1 मई को सुरक्षित रख लिया था
■ साल 1978 से पहले संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार माना जाता था
सर्वोच्च न्यायालय ने आज एक अहम फैसले में कहा कि किसी व्यक्ति के निजी स्वामित्व वाली हर संपत्ति को आम लोगों की भलाई के लिए उपयोग किए जाने वाले समुदाय के भौतिक संसाधन के रूप में नहीं देखा जा सकता है। यह फैसला सुनिश्चित करता है कि अब धन वितरण के उद्देश्य से बनाई जाने वाली नीतियों को अधिक सावधानी से तैयार किया जाना चाहिए। खास तौर पर स्पष्ट सामुदायिक लाभ के बिना निजी संपत्तियों के अंधाधुंध अधिग्रहण से बचना चाहिए।
शीर्ष न्यायालय ने 7:2 के अपने इस आदेश में कहा कि निजी संपत्तियां समुदाय के भौतिक संसाधनों का हिस्सा नहीं हैं जिन्हें राज्य संविधान के अनुच्छेद 39(बी) के तहत राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों के अनुसार समान रूप से वितरित करने के लिए बाध्य है।
Bu hikaye Business Standard - Hindi dergisinin November 06, 2024 sayısından alınmıştır.
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