बिक्री के आंकड़े उपभोक्ता मांग का आईना नहीं
Business Standard - Hindi|November 07, 2024
यह कंपनियों के तिमाही नतीजे आने का दौर है और कंपनियों के मुनाफे या घाटे के आंकड़ों के साथ ही शेयर बाजार के जानकार, कारोबारी खबरें देने वाला मीडिया तथा कंपनियों के मुख्य कार्य अधिकारी (सीईओ) बताने लगते हैं कि उपभोक्ता मांग कैसी है और लोग कितनी खरीदारी कर रहे हैं।
रमा बीजापुरकर

अक्सर ये अनुमान विश्लेषकों के पसंदीदा क्षेत्रों जैसे एफएमसीजी, कार या स्मार्टफोन में बड़ी सूचीबद्ध कंपनियों का प्रदर्शन देखकर लगाए जाते हैं। लेकिन अच्छा तब होता, जब ये सारी बातें यह समझने के बाद कही जातीं कि परिवारों में रोजगार की स्थिति क्या है, आय कितनी है, क्या धारणाएं हैं और किन चीजों पर खर्च किया जा रहा है।

कंपनियों के नतीजों को समझने के लिए हमें देखना चाहिए कि उपभोक्ताओं की मांग पर कौन से कारक असर डाल रहे हैं। इससे हमें सही जानकारी मिल जाएगी। ऐसा नहीं करने पर अलग-अलग दिशाओं की ओर संकेत कर रहे आंकड़े भ्रम को और बढ़ा देते है। कंपनियां की बिक्री पर इस बात का असर भी पड़ता है कि वे क्या चुनती हैं मसलन किस क्षेत्र में दांव लगाया जाएगा, होड़ किस तरह की जाएगी और योजनाओं को किस तरह अमल में लाया जाएगा। इसलिए कंपनियों की बिक्री को केवल उपभोक्ताओं की मांग का आईना नहीं माना जा सकता। पिछली कुछ तिमाहियों में प्रमुख रुझान यह था कि उपभोक्ता प्रीमियम उत्पादों की ज्यादा मांग कर रहे हैं। इस तिमाही में ग्रामीण मांग का पटरी पर लौटना और शहरी मांग में नरमी रहना नया रुझान है।

प्रीमियम होने के मायने

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